मजदूरी की लागत घटाती है और पैदावार बढ़ाती है ये देसी मशीन, मूंगफली की खेती में करें इस्तेमाल

मजदूरी की लागत घटाती है और पैदावार बढ़ाती है ये देसी मशीन, मूंगफली की खेती में करें इस्तेमाल

देसी निराई-गुड़ाई मशीन मूंगफली की खेती को आसान बनाती है, मजदूरी की लागत घटाती है और फसल की पैदावार बढ़ाती है. जानें इसकी विशेषताएं और मूंगफली की उन्नत किस्मों के बारे में.

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मजदूरी की लागत घटाती है और पैदावार बढ़ाती है ये देसी मशीन, मूंगफली की खेती में करें इस्तेमालमूंगफली की निराई और गुड़ाई के लिए देसी मशीन

आज के समय में खेती को लाभदायक बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल करना बेहद ज़रूरी हो गया है. अगर कुछ दशक पहले की कृषि प्रणाली पर नज़र डालें, तो इससे न सिर्फ़ किसानों का काफ़ी समय लगता था, बल्कि उन्हें आर्थिक नुकसान भी होता था. अब आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके किसान न सिर्फ़ समय बचा रहे हैं, बल्कि उसी समय का सदुपयोग करते हुए एक सीज़न में एक से ज़्यादा फ़सलें उगा रहे हैं. ख़ासकर मूंगफली की खेती में, एक देसी मशीन किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. यह मशीन खेतों की निराई-गुड़ाई के काम को आसान बनाती है, मज़दूरी की लागत कम करती है और फसल की पैदावार भी बढ़ाती है.

मूंगफली की खेती का तरीका

मूंगफली एक तिलहनी फसल है, जिसकी खेती मुख्य रूप से गर्मियों और खरीफ के मौसम में की जाती है. इसके लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो. बीज बुआई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और 10-15 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालनी चाहिए.

बुआई का सही समय जून से जुलाई के बीच होता है. बीजों को रोगमुक्त करने के लिए फफूंदनाशक दवाइयों से उपचारित करना चाहिए. बीज की दूरी 30 सेंटीमीटर कतार से कतार और 10 सेंटीमीटर पौधे से पौधे के बीच रखनी चाहिए.

मूंगफली की उन्नत किस्में

फसल की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है. कुछ प्रमुख उन्नत किस्में इस प्रकार हैं:

  • जीजी-20: यह किस्म सूखा सहन करने वाली है और 110-120 दिनों में तैयार हो जाती है.
  • टीजी-37ए: अधिक तेल की मात्रा के लिए उपयुक्त, लगभग 100-110 दिन में पककर तैयार.
  • आईसीजीएस-76: यह किस्म भी कम समय में अच्छी पैदावार देती है.

निराई-गुड़ाई की देसी मशीन के फायदे

अभी हाल में केंद्रीय कृषि मंत्री गुजरात दौरे पर थे. इस दौरान राजकोट में उन्होंने मूंगफली की खेती देखी. इस दौरान उन्होंने खेत में एक ऐसी देसी मशीन देखी जिसने उन्हें चौंका दिया. यह मशीन दो बड़े ट्रैक्टर पर चलती है और इसका आकार ट्रैक्टर के अगले हिस्से की तरह है. इसे हाथ से चलाया जा सकता है. इस मशीन से मूंगफली की खेती में कई काम एक साथ किए जा सकते हैं. अन्य किसान भी इस मशीन को आजमा सकते हैं. किसानों द्वारा खुद चलाकर देखी गई यह निराई-गुड़ाई की देसी मशीन खेतों से खरपतवार को आसानी से निकाल देती है, बिना फसल को नुकसान पहुंचाए. इससे मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है.

  • मजदूरों पर निर्भरता घटती है
  • समय और श्रम की बचत होती है
  • खरपतवार नियंत्रण में सहायता मिलती है
  • फसल की जड़ों को ऑक्सीजन मिलती है
  • पैदावार में वृद्धि होती है

किसानों ने बताया कि इस मशीन के प्रयोग से 40-50% तक मजदूरी की लागत में कमी आती है. साथ ही फसल की ग्रोथ भी बेहतर होती है, जिससे आमदनी बढ़ती है.

मूंगफली की खेती में यह देसी मशीन किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इससे खेती का काम आसान होता है, खर्च घटता है और पैदावार बढ़ती है. अगर आप भी मूंगफली की खेती करते हैं, तो इस मशीन का इस्तेमाल जरूर करें और खेती को लाभदायक बनाएं.

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