पटना में गंगा नदी का बढ़ा जलस्तर, तो फसलें बचाने के लिए किसानों ने बनाई ली जुगाड़ की नाव

पटना में गंगा नदी का बढ़ा जलस्तर, तो फसलें बचाने के लिए किसानों ने बनाई ली जुगाड़ की नाव

बिहार के पटना जिले के बाढ में रैली गांव के कुछ किसानों ने जुगाड़ की नाव बना डाली जी हां जुगाड़ की नाव. सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन यह जुगाड़ की नाव बनी है स्टील की करकट यानी झोपड़ी की छत बनाने वाली स्टील के चादर और लकड़ी की सहायता से.

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पटना में गंगा नदी का बढ़ा जलस्तर, तो फसलें बचाने के लिए किसानों ने बनाई ली जुगाड़ की नावजुगाड़ की नाव

बिहार के बाढ़ में लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसके कारण गंगा नदी के किनारे सैलाब की चपेट में आने लगे हैं, जलस्तर में वृद्धि के कारण दियारा का इलाका और सैकड़ों एकड़ की फसल भी पानी में डूबने लगा है, ऐसे में किसान अपनी फसल को बचाने की जद्दोजहद में लग गए हैं. दरअसल, बिहार के पटना जिले के बाढ़ में रैली गांव के कुछ किसानों ने जुगाड़ की नाव बना डाली जी हां जुगाड़ की नाव. सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन यह जुगाड़ की नाव बनी है स्टील की करकट यानी झोपड़ी की छत बनाने वाली स्टील के चादर और लकड़ी की सहायता से. इस जुगाड़ वाली नाव की सहायता से किसान गंगा नदी में एक किनारे से दूसरे किनारे जाकर अपनी फसलों को काटकर अपने घर तक ला रहे हैं, और फिलहाल यह लोगों के लिए कारगर साबित हो रहे हैं. 

कहां से मिला नाव बनाने का आइडिया?

बाढ़ अनुमंडल के पंडारक प्रखंड अंतर्गत रैली गांव में गंगा किनारे बसे लोग फिलहाल इस तरह की नाव को बनाकर गंगा नदी में चला रहे हैं. साथ ही इस जुगाड़ की नाव की  सहायता से गंगा नदी में डूबती फसल को बचाकर दूसरे किनारे तक भी ले जा रहे हैं. जुगाड़ वाली नाव को बनाने वाले किसान बताते हैं कि बाढ़ एनटीपीसी में काम करने वाले एक व्यक्ति ने उन लोगों को बताया था कि स्टील से बने करकट यानी स्टील की चादर से भी डेंगी नाव बनाई जा सकती है.

कैसे बनता है स्टील वाला नाव?

तब से इन लोगों को स्टील की चादर से नाव बनाने का हुनर मिला. इसे बनाने के लिए स्टील की एक चादर को एक तरफ से मोड कर लकड़ी का एक पाया खड़ा किया जाता है, जिसमें लकड़ी में चादर को कांटी ठोक कर नाव की शक्ल दे दी जाती है. बाद में एम सील की सहायता से लकड़ी और चादर के बीच बने गैप को भर दिया जाता है, जिससे कि पानी नाव के अंदर प्रवेश न कर सके जबकि नाव के दूसरे हिस्से को थोड़ा सा चौड़ा बना दिया जाता है, ताकि वह निर्वाध रूप से गंगा नदी में तैरती रहे. 

कैसे काम आता है ये नाव? 

इस नाव को बनाने वाले ग्रामीण बताते हैं कि इस तरह के नाव में चार छोटे-छोटे लड़के आसानी से जा सकते हैं, जबकि तेज हवा होने की स्थिति में एक ही व्यक्ति इस नाव में आर पार कर सकता है. बहरहाल जो भी हो जुगाड़ से बनी यह नाव फिलहाल बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए दियारा में बसे लोगों को अपनी फसलों को काटकर दूसरे किनारे ले जाने में सहायक बन रहा है. (धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट)

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