उत्तर प्रदेश के विकास के साथ-साथ यहां के किसानों के विकास के बारे में बात करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुझे खुशी है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए एक अच्छा विजन दिया है. उन्होंने कहा 2004 से मैं इथेनॉल की बात करता आ रहा हूँ, मुझे खुशी है कि आने वाले समय में यूपी में इथेनॉल से न सिर्फ गाड़ियां चलेंगी बल्कि दुनिया के हवाई जहाज को भी इथेनॉल की मदद से उड़ाया जाएगा. विमान ईंधन के रूप में यूपी से इथेनॉल लेकर उड़ान भरेंगे.
गडकरी ने कहा, न केवल इथेनॉल बल्कि मेथनॉल, बायो सीएनजी, इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन भी हमारा भविष्य हैं. आने वाले दिनों में यदि यूपी हाइड्रोजन उत्पादन में आगे बढ़ गया तो हमारा ऊर्जा आयातक देश ऊर्जा निर्यातक देश बन जायेगा. उन्होंने कहा, हमने इंडियन ऑयल से अनुरोध किया था और वे इसकी योजना जल्द से जल्द तैयार करें. इथेनॉल उत्पादन किसानों को न केवल अन्नदाता, बल्कि ऊर्जा प्रदाता भी बनाएगा. हम किसानों को बिटुमेन-डेटा बनाने की भी योजना बना रहे हैं.
इथेनॉल एक प्रकार का ईंधन है, जिसका इस्तेमाल गाड़ियों को चलाने में किया जाता है. इथेनॉल का उपयोग प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. यानी इसके उपयोग से वाहन भी चलाए जा सकते हैं और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है. इथेनॉल, जिसे एथिल अल्कोहल या अनाज अल्कोहल के रूप में भी जाना जाता है. ईंधन के रूप में इसके उपयोग होने वाले जैव ईंधन को बनाने के लिए इथेनॉल को अक्सर गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है. ये मिलावट उचित मात्रा जैसे E10 (10% इथेनॉल और 90% गैसोलीन) या E85 (85% इथेनॉल और 15% गैसोलीन तक), और फ्लेक्स फ्यूल तकनीक से लैस कुछ वाहनों में इस्तेमाल किया जा सकता है. इथेनॉल को रिन्यूएबल एनर्जी के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसे मकई, गन्ना या सेल्युलोसिक बायोमास जैसी कृषि फसलों से तैयार किया जा सकता है. वहीं, इस इथेनॉल की मदद से न सिर्फ गाड़ियां बल्कि हवाई जहाज भी आसमान में उड़ाए जा सकेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण में प्रदूषण को कम करना और प्राकृतिक संसाधनों से बचना है.
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इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल के साथ मिलाकर वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है. इथेनॉल मुख्य रूप से गन्ने की फसल से तैयार किया जाता है लेकिन इसे कई अन्य चीनी फसलों से भी तैयार किया जा सकता है. इससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ होता है. चीनी के उत्पादन से बचा हुआ उप-उत्पाद इथेनॉल पेट्रोल का एक अच्छा विकल्प है. इसका उपयोग ईंधन के विकल्प के रूप में किया जाता है और यह लागत के हिसाब से सस्ता भी है. इसे घरेलू स्तर पर फसलों से उत्पादित किया जा सकता है (और कच्चे तेल की तरह आयात करने की आवश्यकता नहीं है) और इथेनॉल का एक निश्चित प्रतिशत पेट्रोल के साथ मिलाया जा सकता है. एक बार इथेनॉल का उत्पादन हो जाने के बाद, इसे गैसोलीन यानी पेट्रोल-डीजल के साथ मिलकर जैव ईंधन बनाया जा सकता है जिसे E10 (10% इथेनॉल युक्त) या E85 (85% इथेनॉल युक्त) के रूप में जाना जाता है. फ्लेक्स फ्यूल तकनीक से लैस वाहन E85 पर चल सकते हैं.
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