ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बढ़ेगी किसानों की आमदनी, घटेगी लागत

ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बढ़ेगी किसानों की आमदनी, घटेगी लागत

भारत में खेती अब तकनीक के सहारे बदल रही है. ड्रोन, एआई, रोबोट और ब्लॉकचेन से किसान बन रहे हैं स्मार्ट, लागत घटेगी और पैदावार बढ़ेगी.

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ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बढ़ेगी किसानों की आमदनी, घटेगी लागतकृषि क्षेत्र में ड्रोन का काम

भारत में खेती एक नए तकनीकी दौर में प्रवेश कर रही है. अब हल-बैल की जगह ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और जीन एडिटिंग जैसी आधुनिक तकनीकें खेतों में उतर रही हैं. इन तकनीकों का उद्देश्य है खेती को अधिक लाभदायक, टिकाऊ और स्मार्ट बनाना.

ड्रोन से खेती होगी स्मार्ट और सटीक

आज के आधुनिक ड्रोन अब केवल तस्वीरें लेने तक सीमित नहीं हैं. ये मल्टीस्पेक्ट्रल, थर्मल और हाइपरस्पेक्ट्रल सेंसर से लैस हैं, जो फसल की सेहत, मिट्टी की नमी, कीटों के हमले और पोषक तत्वों की स्थिति का सटीक विश्लेषण करते हैं. कुछ मिनटों में ही ड्रोन पूरे खेत का नक्शा तैयार कर लेते हैं और डेटा को क्लाउड प्लेटफॉर्म जैसे Flyght Cloud पर भेजते हैं. वहां यह डेटा विश्लेषित होकर किसानों को बताता है कि कहां सिंचाई करनी है, कितनी खाद डालनी है और कब कीटनाशक का छिड़काव करना है. इससे उपज बढ़ती है और संसाधनों की बचत होती है.

तकनीक से आत्मनिर्भर खेती

नीति आयोग ने हाल ही में "रीइमैजिनिंग एग्रीकल्चर: रोडमैप फॉर फ्रंटियर टेक्नोलॉजी-लेड ट्रांसफॉर्मेशन" नाम से एक विजन डॉक्यूमेंट जारी किया है. इसका लक्ष्य है अगले पाँच सालों में भारत की कृषि को 100% आत्मनिर्भर बनाना. इस रोडमैप के अनुसार, नई तकनीकों से कृषि लागत में 40% की कमी और उत्पादन में 60% की बढ़ोतरी संभव है.

फ्रंटियर टेक्नोलॉजी: खेत से लैब तक नवाचार

  • ड्रोन फार्मिंग: एक घंटे में 50 एकड़ में कीटनाशक छिड़काव, 80% दवा की बचत.
  • AI और मशीन लर्निंग: मौसम, कीट और बीमारियों का 100% सटीक अनुमान.
  • IoT सेंसर: मिट्टी की नमी, pH और पोषक तत्वों की लाइव जानकारी मोबाइल पर.
  • सैटेलाइट इमेजरी: बादलों के पार से फसल की लाइव निगरानी और सूखा-बाढ़ अलर्ट.
  • ब्लॉकचेन: बीज से बाजार तक पारदर्शी सिस्टम, नकली खाद-बीज की रोकथाम.
  • रोबोटिक्स: बुवाई से कटाई तक सभी काम ऑटोमैटिक.
  • जीन एडिटिंग (CRISPR): नई किस्में जो सूखा, कीट और खारेपन से सुरक्षित हों.
  • प्रिसिजन फार्मिंग: हर पौधे को जरूरत के अनुसार खाद और पानी.
  • वर्टिकल फार्मिंग: शहरों में छतों पर खेती, एक एकड़ में दस एकड़ की उपज.
  • हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी रहित खेती, 90% कम पानी में सालभर फसल.
  • एरोपोनिक्स: हवा में पौधों की खेती, एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं.
  • बिग डेटा एनालिटिक्स: हर गांव और फसल के लिए अलग डिजिटल फार्मूला.

साल दर साल तकनीकी प्रगति

वर्ष लक्ष्य मुख्य उपलब्धि
2026 पायलट प्रोजेक्ट 10 राज्यों में ड्रोन-AI हब, 1 लाख एकड़ कवरेज
2027 डिजिटल पहुंच 50% किसानों को मुफ्त ऐप, सैटेलाइट डेटा और IoT किट
2028 ग्लोबल मार्केट ब्लॉकचेन से सीधा निर्यात, 10 लाख टन ऑर्गेनिक उत्पाद
2029 रोबोट क्रांति 50,000 रोबोटिक यूनिट्स किराए पर
2030 स्मार्ट विलेज हर गांव में “डिजिटल खेत”, आय दोगुनी

किसानों को होंगे ऐसे फायदे

  • आय में बढ़त: एक एकड़ गेहूं से आय ₹25,000 से बढ़कर ₹70,000 तक.
  • लागत में कमी: खाद, पानी और दवा पर 40% बचत.
  • उत्पादन में बढ़ोतरी: 60% अधिक पैदावार.
  • पानी की बचत: 90% तक कम पानी की जरूरत.
  • बाजार पहुंच: ब्लॉकचेन से 100% पारदर्शी मार्केटिंग.

फंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट

  • सरकार ने इस क्रांति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं:
  • कृषि-टेक फंड: ₹50,000 करोड़ का निवेश.
  • ड्रोन दीदी योजना: 1 लाख महिलाओं को ड्रोन ट्रेनिंग.
  • AI लैब: हर जिले में एक AI लैब की स्थापना.
  • फ्री स्मार्टफोन: 10 करोड़ किसानों को स्मार्टफोन उपलब्ध.
  • रोबोट बैंक: 1 लाख यूनिट्स किराए पर देने की योजना.

सबका साथ, सबकी खेती का विकास

यह परिवर्तन केवल सरकार का नहीं, बल्कि किसानों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों, निवेशकों और नीति-निर्माताओं का संयुक्त प्रयास है. जब तकनीक प्रयोगशाला से निकलकर खेतों तक पहुंचेगी, तभी भारत दुनिया का “अन्न भंडार” बनने का सपना साकार करेगा.

ड्रोन, एआई, रोबोटिक्स और डेटा-आधारित खेती भारत की कृषि को एक नए युग में ले जा रहे हैं. यह बदलाव न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि संसाधनों की बचत और पर्यावरण की रक्षा भी करेगा. भविष्य की खेती “स्मार्ट, टिकाऊ और आत्मनिर्भर भारत” की पहचान बनेगी.

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