UP Farmers News: बाजार में औषधीय (Medicinal Plants) उत्पादों की मांग बढ़ गई है जो किसानों (Farmers) के लिए लाभकारी साबित हो रही है. उत्पादन कम और मांग अधिक होने के कारण किसानों को औषधीय फसलों के अच्छे दाम मिल रहे हैं. इसी कारण से किसान अधिक आमदनी की चाह में औषधीय पौधों की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं. इसी क्रम में बिहार राज्य की कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) के द्वारा अपने किसानों को औषधीय, सगंध पौधों व फूलों की खेती के प्रति जागरूक करने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP) लखनऊ मे आयोजित किया गया.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीतामढ़ी जनपद, बिहार के 9 महिला किसान के साथ 26 प्रतिभागियों ने भाग लिया. किसानों को औषधीय, सगंध पौधों व फूलों के उत्पादन, प्राथमिक प्रसंस्करण व विपणन विषय पर प्रशिक्षित करने के लिए सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान में शुभारंभ किया गया था.
कार्यक्रम के समापन सत्र में सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कि सीएसआईआर-सीमैप पिछले 60 वर्षों से औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती में किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है, तथा नई-नई कृषि तकनीकी, पौध सामग्री एवं उन्नतशील प्रजातियां किसानों को उपलब्ध करा रहा है जिसके फलस्वरूप लाखों किसानों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचा है. उन्होंने कृषकों को संबोधित करते हुये कहा कि किसान गोष्ठी में कृषि तकनीकियों को जानने के बाद उसको अपने खेत पर अपनाकर किसानों को समय-समय पर वैज्ञानिकों से जानकारी लेनी चाहिए ताकि उस तकनीकी पर किसानों का विश्वास बना रहे.
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि अश्वगंधा, गिलोय, भृंगराज, सतावर, पुदीना, मोगरा, तुलसी, घृतकुमारी, ब्राह्मी, शंखपुष्पी और गूलर आदि औषधीय पौधों की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. कुछ औषधीय पौधे ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है. वहीं तमाम अन्य पौधों का उपयोग कंपनियां सौदर्य प्रसाधन बनाने में करती हैं. इस्तेमाल चाहें जो भी हो, दोनों रूप में किसानों को यह कमाई का मौका देता है. सबसे खास बात है कि पारंपरिक फसलों की खेती के मुकाबले इसमें लाभ कई गुना अधिक होता है.
तमाम औषधीय फूलों और फलों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में किया जाता है. इसमें आंवला, नीम और चंदन महत्वपूर्ण हैं. ये रोपाई के बाद पहले पेड़ का रूप लेते हैं और आगे चलकर इनकी पत्तियां, खाल, फूल, फल, जड़ और तना जैसे तमाम हिस्सों का इस्तेमाल दवाओं में किया जाता है. हालांकि इसमें कमाई लंबे समय में होती है.
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