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Mango Export: आम के निर्यात को बढ़ाने के लिए CISH ने तैयार की खास तकनीक, 35 दिनों तक बढ़ जाएगी फल की शेल्फ लाइफ

Mango Export: आम के निर्यात को बढ़ाने के लिए CISH ने तैयार की खास तकनीक, 35 दिनों तक बढ़ जाएगी फल की शेल्फ लाइफ

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH ) के द्वारा आम के निर्यात को बढ़ाने के लिए इन दिनों प्रयास किया जा रहे हैं. संस्थान में निर्यातक और उत्पादक व्यावसायिक बैठक का आयोजन हुआ जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पर पाठक की अध्यक्षता में देशभर के निर्यातकों ने हिस्सा लिया.

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यूपी देश के भीतर सबसे ज्यादा आम का उत्पादन करने वाला राज्य है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में आम के निर्यात में सबसे कम योगदान भी है. आम के कुल उत्पादन का चार से पांच फ़ीसद ही आम निर्यात होता है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा आम के निर्यात को बढ़ाने के लिए एक खास तकनिक विकसित की है. संस्थान में रविवार को आम निर्यातक और उत्पादक व्यावसायिक बैठक का आयोजन हुआ .भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक की अध्यक्षता में बैठक में  देशभर के निर्यातकों ने हिस्सा लिया.

डॉ हिमांशु पाठक ने बताया कि आम के कुल उत्पादन का अभी तक चार से पांच प्रतिशत ही निर्यात होता है जिसकी वजह से किसानों को सीमित लाभ होता है. अंतर्देशीय बाजार की आवश्यकता के अनुसार निर्यात को बढ़ाकर किसानों का काफी फायदा किया जा सकता है. इस दिशा में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा एक तकनीक को भी विकसित किया गया है जिससे न सिर्फ निर्यात बढ़ेगा बल्कि आम की शेल्फ लाइफ भी बढ़ जाएगी. 

इस तकनीक से बढ़ जाएगा आम का निर्यात

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा आम के निर्यात को बढ़ाने के लिए एक तकनीक विकसित की गई है. संस्थान के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने बताया कि आम के निर्यात में वृद्धि के लिए दूसरे देशों के निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार फलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए संस्थान के द्वारा 'फसल प्रभात' तकनीक और फलों की शेल्फ लाइफ को 35 दिन तक बढ़ाने के लिए मेटवास तकनीक विकसित की गई है. इस तकनीकी की मदद से आम के निर्यात में आ रही समस्या का समाधान होगा. इससे किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा.

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आम उत्पादन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा समुद्री मार्ग से एपिडा के सहयोग से प्रोटोकॉल पर काम किया जा रहा है. 

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आम की ये किस्म बनी निर्यातकों की पहली पसंद

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा अंबिका नाम से एक आम की किस्म विकसित की गई है जिसे आम्रपाली और जनार्दन पसंद को मिलाकर तैयार किया गया है. आम की यह किस्म लगातार फल और अधिक उपज देने वाली किस्म है. यह किस्म देर से पकाने वाली किस्म भी है. इस किस्म में मेंगीफेरिन तत्व पाया जाता है जो सेहत के लिए विशेष फायदेमंद है. अंबिका किस्म एक रंगीन किस्म है जिसके चलते निर्यातकों की पसंद भी है. संस्थान के द्वारा लखनऊ स्थित दयानंद नर्सरी में इस आम का मदर प्लांट स्थापित किया गया है. 

सागरिका किस्म से ऊसर भूमि में भी मिलेगा उत्पादन

सागरिका आम की एक नियमित फल देने वाली किस्म है जो लवणीय या उसर भूमि में भी 20 किलोग्राम प्रति पौधे तक उपज देती है. इस किस्म के फल आकार में छोटे, आकर्षक, पीले रंग के ठोस, रेशेदार और गहरे पीले गूदे वाले हैं. इस किस्म को जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड के द्वारा व्यावसायिक लाइसेंस दिया गया है.