Second Hand Tractor: पुराना ट्रैक्टर लेने का है विचार? पहले जान लें ये छिपे हुए नुकसान

Second Hand Tractor: पुराना ट्रैक्टर लेने का है विचार? पहले जान लें ये छिपे हुए नुकसान

नए ट्रैक्टर के लिए बजट की कमी से जूझ रहे किसान मजबूरी में एक पुराना ट्रैक्टर खरीदते हैं. मगर बहुत सारे किसान पुराने ट्रैक्टर से जुड़ूी कई सारी छिपी हुई समस्याएं नहीं पहचान पाते. इस वजह से किसानों को बहुत अनचाहे खर्चे उठाने पड़ते हैं. इसलिए आज हम आपको सेकेंड हैंड ट्रैक्टर से जुड़ी छिपी हुई दिक्कतों के बारे में आपके बताने वाले हैं.

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पुराना ट्रैक्टर लेने का है विचार? पहले जान लें ये छिपे हुए नुकसानसेकेंड हैंड ट्रैक्टर के साथ छिपी समस्याएं

देश के ज्यादातर किसानों की माली हालत खराब ही होती है. ऐसे में किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग या ट्रैक्टर नहीं खरीद पाता है. इसलिए बहुत सारे किसान या तो भाड़े के ट्रैक्टर से खेती करवाते हैं या फिर थोड़ा-बहुत पैसा इकट्ठा करके पुराना ट्रैक्टर खरीदते हैं. लेकिन पुराना ट्रैक्टर कम पैसों में तो आ जाता है पर इसकी कंडीशन अगर सही ना हो तो इससे आपको लगातार नुकसान ही झेलना पड़ेगा. इसलिए आज हम आपको पुराने ट्रैक्टर खरीदने पर क्या-क्या संभावित और छिपे हुए नुकसान आपको झेलने पड़ सकते हैं, इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

नहीं मिलेगी वारंटी

सबसे पहली चीज तो ये है कि ज्यादातर ट्रैक्टर जो सेकेंड हैंड मार्केट में मिलते हैं, उनमें वारंटी नहीं मिलती है. इसका कारण ये है कि कंपनियां आमतौर पर अपने ट्रैक्टर पर 2 से 6 साल तक की वारंटी देती हैं. अगर सेकेंड हैंड ट्रैक्टर, जो आप खरीद रहे हैं, वह 6 साल से ज्यादा पुराना है तो बहुत हद तक ये संभव है कि उसकी वारंटी खत्म हो चुकी होगी. ट्रैक्टर की वारंटी तब भी खत्म हो जाती है अगर किसान वारंटी पीरियड में सर्विस सेंटर से बाहर कहीं ट्रैक्टर में काम करवा लें.

पुरानी तकनीक और फीचर 

एग्री-इंडस्ट्री में भी बहुत तेजी से नई तकनीक आ रही हैं. इसलिए ट्रैक्टरों में भी हर 1-2 साल में बहुत सारी नई टेक्नोलॉजी आने लगती है. ऐसे में अगर ट्रैक्टर 5-6 साल से ज्यादा पुराना हो गया है तो जाहिर है कि इसमें आपको बहुत सारी नई तकनीक और बहुत काम के फीचर नहीं मिल पाएंगे.

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पार्ट्स में जंग और वेल्डिंग

अगर ट्रैक्टर काफी पुराना है तो जाहिर है इसमें कहीं ना कहीं या इसके कुछ पार्ट्स में जंग तो लगना ही है. लिहाजा इस जंग से ट्रैक्टर की लाइफ काफी कम होने लगती है. इसके आलावा जंग लगने की वजह से ट्रैक्टर के बॉडी पार्ट्स भी कमजोर हो जाते हैं और टूटने लगते हैं. इसके चलते पुराने ट्रैक्टर में कुछ लोग टूटे हुए बॉडी पार्ट्स पर वेल्डिंग भी करा देते हैं.

ज्यादा मेंनटीनेंस और खर्चा

ज्यादातर लोग अपना ट्रैक्टर तभी बेचते हैं जब उन्हें उसमें कुछ कमियां दिखने लगें या फिर उसकी लाइफ कम बची हो. इतना ही नहीं कई लोग जो ट्रैक्टर से भाड़ा करते हैं, वे तो इसको लगभग पूरी तरह से खत्म करने के बाद ही बेचते हैं. ऐसे में अगर आपने ट्रैक्टर खरीदते वक्त एक भरोसेमंद मिस्त्री से इसकी जांच नहीं कराई तो इसका मेंटीनेंस बहुत महंगा पड़ेगा. ये ट्रैक्टर आए दिन नए-नए तरीके से आपकी जेब ढीली कराता रहेगा.

पुराने टायर और बैटरी

ट्रैक्टर पुराना है तो जाहिर है इसमें टायर भी घिसे हुए ही मिलने वाले हैं. कुछ पुराने ट्रैक्टर में तो हालत ये होती है कि उनके दाम के आधी रकम के बराबर तो इसका टायर सेट का खर्चा पड़ता है. इसलिए ट्रैक्टर लेते वक्त घिसे, कटे या रबड़िंग किए हुए टायर मिलने बहुत ज्यादा चांस होते हैं. इसके साथ ही ट्रैक्टर की सबसे जरूरी चीजों में बैटरी भी होती है. बहुत सारे सेकेंड हैंड ट्रैक्टर में बैटरी कंडीशन खराब ही मिलती है.

लोन ना मिलना और कम रीसेल वैल्यू

अगर आप सेकेंड हैंड ट्रैक्टर बेचने वाली किसी एजेंसी से पुराना ट्रैक्टर नहीं ले रहे हैं तो मुश्किल है कि इसपर लोन की सुविधा मिलेगी. अगर पुराने ट्रैक्टर पर लोन मिल भी जाता है तो इसपर ब्याज भी बहुत अधिक देना पड़ता है. इसका साथ ही जब ये पुराना ट्रैक्टर आप बेचेंगे तो इसकी रीसेल वैल्यू भी बहुत कम हो जाएगी.

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