बिज्जू चाचा की तो चर गई फसल, तो फिर अज्जू चाचा ने कैसे बचाई?

बिज्जू चाचा की तो चर गई फसल, तो फिर अज्जू चाचा ने कैसे बचाई?

अज्जू-बिज्जू नाम के दो शख्स गजबगढ़ गांव में रहते थे. जहां बिज्जू चाचा लठ्ठ से जानवरों पर निशाना लगाने में माहिर हैं और फिर भी उनकी पूरी फसल चर गई. वहीं दूसरी ओर बिज्जू चाचा के खेत की मेड़ से सटे अज्जू चाचा ने अपनी फसल बचा ली. आखिर ये कैसे हुआ, ये पूरी चरई कथा आपको बताते हैं.

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बिज्जू चाचा की तो चर गई फसल, तो फिर अज्जू चाचा ने कैसे बचाई?   solar fencing

गजबगढ़ नाम का एक गांव है. जैसा नाम है वैसे ही गांव के लोग. यहां हर दूसरा ग्रामीण अद्भुत प्रतिभा का धनी है. लेकिन इस गांव में दो लोग हैं, जो इतने माने हुए हैं कि उनका नाम लेते ही गांव का बच्चा-बच्चा आपको उनके घर तक पहुंचाकर आ जाएगा. इनका नाम है अज्जू चाचा और बिज्जू चाचा. जैसे हमने कहा कि गांव का हर दूसरा आदमी प्रतिभावान है, तो इनमें भी केवल दूसरे यानी बिज्जू चाचा ही प्रतिभावान हैं, अज्जू चाचा तो सीधे से ही हैं. 

गजबगढ़ के बिज्जू चाचा जाने जाते हैं अपनी लठ्ठ-निशानी के लिए. बिज्जू चाचा का ये हुनर खेत में ढोर (पशु) भगाने में बड़े काम आता है. लेकिन फिर भी इस बार बिज्जू चाचा छुट्टा पशुओं से अपनी गेहूं की फसल नहीं बचा पाए. वहीं दूसरी ओर सीधे-साधे अज्जू चाचा की फसल में इस बार एक जानवर भी घुसने की हिम्मत नहीं कर पाया. आखिर ये कैसे हुआ इसकी कहानी हम आपको बताते हैं- 

बिज्जू चाचा की लठ्ठ-निशानी कैसे हुई फेल?

बिज्जू चाचा गजबगढ़ में लठ्ठ-निशानी के पुरोधा माने जाते हैं. बिज्जू चाचा को दूर से अगर खेत में घुसता जानवर दिख जाए तो फिर वो खेत की किसी मेड़ पर बैठे हों या फसल के बींचों बीच मचान पर हों, बिज्जू चाचा तेल की डकार मारे हुए अपना लठ्ठ उठाते और लगाते निशाना. फिर तो ये समझिए कि पहले तो हाथ में बिज्जू चाचा लठ्ठ ऐसे घुमाते, मानो हेलीकॉप्टर का पंखा. इसके बाद ढोर पर लगा निशाना जब बिज्जू चाचा लठ्ठ छोड़ते तो यूं जाता जैसे सुदर्शन चक्र. मजाल है कि हेलीकॉप्टर बना बिज्जू चाचा का लठ्ठ जानवर को लगने से चूक जाए. बिज्जू चाचा का लठ्ठ पड़ते ही जानवर बन जाता मोटर साइकिल और खेत छोड़कर हो जाता फरार.

बिज्जू चाचा अपनी लठ्ठ-निशानी के हुनर के दम पर हर साल ऐसे ही खेत की रखवाली करते थे. लेकिन इस बार आवारा पुशुओं का गजबगढ़ में ऐसा आतंक मचा कि बिज्जू चाचा दिनभर लठ्ठ चलाते फिर भी अपनी गेहूं की फसल जानवरों से नहीं बचा पाए. खेत में चारों ओर से छुट्टा पशु घुसते थे और एक अकेले बिज्जू चाचा कितना लठ्ठ चलाते. दिन में तो फिर भी कुछ हद तक फसल बचा पाते लेकिन रात में जानवर फेंसिंग के तार तोड़कर खेत में घुस जाते थे. नतीजा ये हुआ कि बिज्जू चाचा की कुछ ही दिनों में पूरी फसल चर गई. 

लेकिन बिज्जू चाचा को हैरानी इस बात की थी कि उनकी मेड़ से ही सटे अज्जू चाचा के खेत में जानवर क्यों नहीं घुस रहे, उनकी फसल लहलहा रही है और अज्जू चाचा को कभी लठ्ठ चलाते भी नहीं देखा. ये जानने के लिए खुद बिज्जू चाचा अज्जू चाचा से पूछने चले ही गए. अज्जू चाचा ने फिर बिज्जू चाचा को जो बताया उसे जानकर वे माथे पर हाथ मारकर बैठ गए.

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अज्जू चाचा की कैसे बच गई फसल?

बिज्जू चाचा को अज्जू चाचा ने एक मशीन के बारे में बताया. इसका नाम है झटका मशीन. फिर अज्जू चाचा ने आगे समझाया कि ये जानवरों को कैसे खेत से दूर रखती है और कितने रुपये की आती है. अज्जू चाचा ने बताया कि सौर ऊर्जा वाली झटका मशीन को सोलर फेंसिंग भी कहा जाता है. उन्होंने आगे बताया कि जब भी कोई जानवर खेत में घुसने की कोशिश करता और तार फेंसिंग के संपर्क में आता है तो उसे 12 वोल्ट का करंट लगता है. झटका लगते ही इसमें लगा सायरन भी बजता है, जिससे जानवर डरकर भाग जाता है.    

अज्जू चाचा ने बिज्जू चाचा को बताया कि उनके लठ्ठ मारने से तो जानवर घायल हो जाते हैं, लेकिन झटका मशीन का करंट इतना हल्का होता है कि पशुओं को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता और वे डरकर दूर भाग भी जाते हैं. 12 बोल्ट झटका जानवर और इंसानों दोनों के लिए नुकसादेह नहीं है.

अज्जू चाचा ने बताया कि झटका मशीन चार्ज होने वाली बैटरी से भी चलती है और सोलर से भी चलती है. एक झटका मशीन से लगभग 20 से 25 बीघा खेत की तार फेंसिंग पर करंट दौड़ाया जा सकता है. अज्जू चाचा ने बताया कि झटका मशीन बहुत महंगी नहीं आती. ये मात्र 15 से 20 हजार रुपये से शुरू हो जाती है. बिज्जू चाचा इस बात पर भी हैरान रह गए कि इस झटका मशीन पर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री सोलर फेंसिंग योजना के तहत 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी मिल जाएगी. ये सब जानने के बाद बिज्जू चाचा ने खेती का असली पुरोधा अज्जू चाचा को बताया और फिर लठ्ठ निशानी छोड़कर अपने खेत के लिए भी झटका मशीन लेने निकल पड़े.

नोट- इस कहानी के सभी नाम काल्पनिक हैं.

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