किसान के खे में लगा येलो ट्रैप सांकेितिक तस्वीरः किसदेश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि खेतों में केमिकल के इस्तेमाल को कम किया जा सके. रसायनिक खाद औऱ केमिकल कीटनाक के प्रयोग को कम करने के लिए जैविक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं साथ ही इसके विकल्पों को लेकर नए शोध भी किए जा रहे हैं. खेती बारी में बढ़ते केमिकल के प्रयोग को रोकने के लिए सोलर लाइट ट्रैप बनाया गया है. यह जैविक तरीके से कीट को नियंत्रित करने का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. इसका फायदा किसानों को मिलता है. इसलिए यह कहा जा रहा है कि सोलर लाइट ट्रैप किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबाकि कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर किशोर प्रजापति ने कहा कि सोलर लाइट ट्रैप के इस्तेमाल के कई फायदे हैं, इसका लाभ किसानों को मिलेगा. इसका इस्तेमाल करके किसान अपने खेत पर लगने वाले कीट पर प्रभावी रुप से नियंत्रण पा सकते हैं. खास कर अगर बात जैविक खेती करने वाले किसानों की करें तो उनके पास कीटनाशक का इस्तेमाल करने के अधिक ऑप्शन नहीं होते हैं, इस कारण खेतों में कीट का प्रकोप होने पर अधिक नुकसान का सामना करना पड़ता है. पर अब सोलर लाइट ट्रैप का विकल्प आ गया है. इसके इस्तेमाल का एक फायदा यह भी है कि इसमें खेती की लागत में कमी आती है, और कीट नहीं लगने के कारण फसलों का उत्पादन अच्छा होता है.
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सोलर लाइट ट्रैप के इस्तेमाल करने से पहले किसानों को यह जानना जरूरी है कि यह कैसे काम करता है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि कीट नियंत्रण करने लिए खेतों में असरदार सोलर लाइट ट्रैप को बाहर से ऊर्जा की जरूरत नहीं होती है, यह सूर्य की रोशना से ही इसकी बैटरी चार्ज हो जाता है. सोलर ट्रैप की खासियत यह होती है कि इसकी रोशनी को देखते ही कीट इसकी तरफ आकर्षित होते हैं. फिर इसमें जो जाली लगी होती है वहां जाकर फंस जाते हैं. खेत में लगाने के बाद यह दिन भर रोशनी से चार्ज होता है और रात में जलता है जिससे कीट आकर फंस जाते हैं. प्रमुख तौर पर इसमें रात में निकलने वाले कीट आकर्षित होते हैं.
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सोलर लाइट ट्रैप को खेतों में शाम सात बजे से 11 बजे के बीच लगाया जाता है. क्योकि रात के समय में कीट अधिक प्रभाव छोड़ते हैं. सोलर ट्रैप दो साइज में आता है. जिसमें फेरोमैन ट्रैप लगा होता है. इसमें एक विशेष प्रकार की केमिकल लगा दी जाती है. जो नर कीट को भ्रम में रखकर फंसाता है. एक सोलर लाइट ट्रैप की आयू पांच से आठ साल तक होती है. इतने साल तक किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. बाजार में इसकी कीमत 3500-4000 रुपये तक होती है. एक बड़े सोलर लाइट ट्रैप मशीन से एक हेक्टेयर में लगने वाले कीट को नियंत्रित किया जा सकता है.
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