Israel War 2023: युद्ध से घिरा है जो इजरायल वहीं से खेती सीखकर आया था ये किसान, ऐसे दोगुनी की आमदनी, पढ़ें पूरी कहानी

Israel War 2023: युद्ध से घिरा है जो इजरायल वहीं से खेती सीखकर आया था ये किसान, ऐसे दोगुनी की आमदनी, पढ़ें पूरी कहानी

गंदूरा उरांव से पूछने पर उन्होंने किसान तक को बताया कि इजरायल में जिस तकनीक का इस्तेमाल होता है उसका इस्तेमाल झारखंड में करना मुश्किल है. यहां पर इजरायली तकनीक के नाम पर सिर्फ ड्रिप और स्प्रिंक्लर का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा बड़ी मशीनों का इस्तेमाल नहीं होता है. 

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Israel War 2023: युद्ध से घिरा है जो इजरायल वहीं से खेती सीखकर आया था ये किसान, ऐसे दोगुनी की आमदनी, पढ़ें पूरी कहानीगंदूरा उरांव और उनका खेता फोटो किसान तक

इजरायल की कृषि तकनीक दुनिया में सबसे बेहतरीन तकनीकों में से एक मानी जाती है औऱ दुनिया इसका लोहा मानती है. यहां कि तकनीक का इस्तेमाल करके कम पानी और कम जगह में बेहतर उत्पादन हासिल किया जा सकता है. झारखंड के किसान भी इस तकनीक को सीख पाएं और उसे अपने खतों में इस्तेमाल कर पाए इस उद्देश्य से साल 2018 में झारखंड के किसानों को एक्सपोजर वीजिट के लिए इजरायल भेजा था. इस टीम में झारखंड की राजधानी रांची जिले के मांडर प्रखंड अतंर्गत गुड़गुड़जाड़ी गांव के प्रगतिशील किसान गंदूर उरांव भी शामिल थे. वह भी इजरायल गए थे और वहां की आधुनिकतम कृषि प्रणाली को देखा और समझा, फिर उसे यहां पर आकर अपने खेतों में उसका इस्तेमाल कर रहे हैं औऱ दूसरे किसानो को भी इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं. 

2018 के बाद अब लगभग पांच चाल पूरे हो चुके हैं. 26 किसान इजरायल दौरे में शामिल हुए थे. सभी अपने अपने जिले में जाकर खेती कर रहे हैं. पर उनकी तकनीक में अब कितना बदलाव आया है यह जानना जरूरी है. इस बारे में गंदूरा उरांव से पूछने पर उन्होंने किसान तक को बताया कि इजरायल में जिस तकनीक का इस्तेमाल होता है उसका इस्तेमाल झारखंड में करना मुश्किल है. यहां पर इजरायली तकनीक के नाम पर सिर्फ ड्रिप और स्प्रिंक्लर का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा बड़ी मशीनों का इस्तेमाल नहीं होता है. 

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झारखंड में इजरायल की तकनीक को इस्तेमाल करना मुश्किल

इसके पीछे का कारण बताते हुए गंदूरा उरांव ने कहा कि इजरायल के किसानों की तुलना में झारखंड के किसान तकनीकी तौर पर मजबूत  नहीं है. यहां के किसान छोटी जोत में खेती करते हैं जबकि इजरायल में बड़े फार्म है, इसके कारण वहां पर बड़ी मशीनों का इस्तेमाल करना आसान होता है और यहां पर किसान उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. गंदूरा बताते हैं कि इजरायल में कृषि के अलावा पशुपालन, मछलीपालन औऱ बागवानी में भी आधुनिकम तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. इन सभी तकनीकों का इस्तेमाल करना झारखंड के किसानों के लिए आसान नहीं है क्योंकि जमीन भी नहीं और पूंजी भी नहीं है.

इजरायल से लौटने के बाद अपनायी यह तकनीक 

इजरायल से लौटन के बाद गंदूरा की खेती में क्या बदलाव हुआ इस बारे में बताते हुए गंदूरा ने कहा कि वहां से लौटने के बाद एक आत्मविश्वास यह हुआ कि जब वहां के किसान बेहतर कर सकते हैं तो झारखंड के किसान बेहतर क्यों नहीं कर सकते हैं. कृषि के लिए झारखंड के हालात इजरायल से बेहतर हैं. यहां पर अधिक बारिश होती है साथ ही यहां की मिट्टी भी अपजाऊ है. उन्होंने कहा कि वहां से लौटने के बाद ड्रिप इरिगेशन पर अधिक ध्यान शुरू किया साथ ही पॉली हाउस और नेट हाउस में फूल की खेती करना शुरू किया. खेती का पिछला अनभव काम आया इसका फायदा मिला और फूले से अच्छी कमाई हुई. साथ ही ड्रिप और मल्चिंग के इस्तेमाल से उत्पादन बढ़ा और कमाई बढ़ी है. 

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इन फसलों की खेती करते हैं गंदूरा उरांव

आज गंदूरा उरांव लगभग 12 एकड़ में खेती करते हैं. अधिकांश को जरबेरा, ग्लैड्यूलस और गेंदा फूल की खेती के अलावा सब्जियों की खेती करते हैं. सब्जियों में मटर, फूलगोभी, टमाटर, बैंगन, खीरा और करैला की खेती करते हैं. इसके अलावा वो कई एकड़ क्षेत्र में तरबज की खेती करते हैं. अपने अधिकांश खेतों में उन्हों ड्रिप इरिगेशन लगाया है इससे समय, पानी और पैसा तीनों की बचत होती है. इसके अलावा गंदूरा उरांव एक एफपीओ भी चलात हैं, इसके जरिए कृषि उत्पादों की मार्केटिंग आसान हो गई है. 

 

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