कृषि ड्रोन सांकेतिक तस्वीरदेश में आधुनिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है. किसानों को ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही उन्हें ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इस क्षेत्र में अब महिला किसान भी आगे आ रही हैं. महिला किसानों को भी ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी के तहत समस्तीपुर के मदनपुर की रहने वाली मीनाक्षी राज्य की पहली महिला ड्रोन पायलट बन गई हैं. मीनाक्षी को अपने किसान पिता को खेतों में काम करते देख कर यह प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने ड्रोन उड़ाना सीखने की प्रेरणा मिली.
मीनाक्षी ने ड्रोन उड़ाने और इसे रिपेयरिंग करने का प्रशिक्षण डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा से लिया है. मीनाक्षी ने इसी साल 12वीं की परीक्षा पास की है. उनके पिता अंजनी कुमार एक किसान हैं जबकि मां का नाम चांदनी है जो एक हाउसवाइफ हैं. मीनाक्षी के पिताजी अंजनी कुमार के पास 40 बीघा जमीन है, जिसमें वे खेती करते हैं. पर कई बार ऐसा होता है कि सही समय पर मजदूर नहीं मिलने के कारण उन्हें परेशानी होती है. साथ ही कई बार जल्दी काम कराने के लिए अधिक मजदूरी भी देनी पड़ती है जिसके कारण उन्हें परेशानी होती है.
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इसके कारण कई बार अंजनी कुमार दिन-दिन भर खेतों में काम करते रहते हैं. पिता को दिन भर खेत में काम करते देख कर मीनाक्षी के मन में पिताजी की मदद करने का मन हुआ. इसके बाद पिताजी का काम आसान करने के लिए मीनाक्षी ने ड्रोन उड़ाने और रिपयेरिंग करने का प्रशिक्षण लिया ताकी खाद और कीटनाशक के छिड़काव को आसान बना सकें और पिताजी की मदद कर सकें. इसके इस्तेमाल से पिताजी की का समय भी बचा सकें और खेती में उनकी लागत को भी कम कर सकें.
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मीनाक्षी बताती हैं कि एक बेटी होने के नाते उन्होंने कहा कि पिता की मदद करना और उनकी परेशानी दूर करना उनका मकसद था. इसी कोशिश के तहत एक ड्रोन पायलट बन गईं. मीनाक्षी बताती हैं कि वे पढ़-लिखकर एक किसान बनना चाहती हैं. ड्रोन के प्रशिक्षण को लेकर उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि ड्रोन की ट्रेनिंग होने वाली है, तो उन्होंने जिद करके ड्रोन ट्रेनिंग के लिए अपना नाम लिखवा लिया. इसके बाद पांच दिनों की ट्रेनिंग हुई और वह अब ड्रोन पायलट बन गई हैं. अपने गांव में ड्रोन से खाद और कीटनाशक का छिड़काव करेंगी. इससे गांव में उनके पिता समेत अन्य लोगों को खेतीबाड़ी करने में आसानी होगी. समय और पैसा दोनों की बचत होगी. इस तरह से मीनाक्षी अब गांव की कई लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं.
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