केरल का तिरुवंनतपुरम में इस बार लोकसभा चुनावों में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. यहां पर कांग्रेस के उम्मीदवार शशि थरूर को चुनौती देने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राजीव चंद्रशेखर को मैदान में उतारा है. 12 अप्रैल को चंद्रशेखर ने यहां पर रोड शो किया और जो कुछ भी देखने को मिला, उसके बाद विश्लेषक अंदाजा लगा रहे हैं कि इस बार नतीजे पलट सकते हैं. चंद्रशेखर ने रोड शो शुरू करने से पहले सभा को संबोधित किया था. उन्होंने कहा था कि यहां चुनाव 26 अप्रैल को होगा. इस चुनाव में वह इतिहास बनाना चाहते हैं, बदलाव लाना चाहते हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं. उनका कहना था कि चार जून को, जब मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे तो तिरुवनंतपुरम को 400 से अधिक सीटों (मोदी के लक्ष्य) का हिस्सा होना चाहिए.
लगभग दो दर्जन पड़ावों वाले अपने व्हिसल-स्टॉप रोड शो के दौरान, चंद्रशेखर भीड़ के सामने अपना संदेश देते रहे कि मोदी सरकार 3.0 के लिए स्टेज तैयार हो चुका है. उन्होंने दावा किसा कि वह इस बार सरकार में मंत्री होंगे. कन्नमुला में सीनियर बीजेपी लीडर पीके कृष्णदास ने कहा कि अगर यहां के लोग चंद्रशेखर की जीत सुनिश्चित करते हैं, तो पीएम मोदी निश्चित रूप से उन्हें अपने मंत्रिमंडल का सदस्य बनाएंगे. अगर शशि थरूर या फिर सीपीआई उम्मीदवार पन्नियन रवींद्रन चुने जाते हैं, तो वे दिल्ली में धरना देंगे और तिरुवनंतपुरम में कभी कोई विकास नहीं लाएंगे. ऐसे में चन्द्रशेखर इस निर्वाचन क्षेत्र में बदलाव लायें, सब यही उम्मीद लगाए हुए हैं.
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इंडस्ट्रीयलिस्ट से नेता बने 59 साल के चंद्रशेखर ने तिरुवनंतपुरम को इस बार केरल में सबसे कांटे की लड़ाई में से एक बना दिया है. बीजेपी ने अभी तक केरल में कोई भी सीट नहीं जीती है. तिरुवंनतपुरत तीन बार के कांग्रेस सांसद और यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में राजनयिक से राजनेता बने शशि थरूर का गढ़ रहा है. वह साल 2009 से इसे जीत रहे हैं और अब तक सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वाले सांसद बन गए हैं. थरूर ने कुछ समय पहले कहा था कि इस बार यह लड़ाई उनकी आखिर लोकसभा लड़ाई हो सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो थरूर को कहीं न कहीं अपनी सीट जाने का डर सता रहा है.
पीएम मोदी ने भी एक रैली में केरल में 10 सीटें जीतने का दावा किया था. उसके बाद से ही इस सीट के लिए राजीव चंद्रशेखर के नाम का ऐलान यह बताने के लिए काफी है कि बीजेपी तिरुवनंतपुरम को लेकर काफी गंभीर है. आंकड़े भी बीजेपी के फेवर में बताए जा रहे हैं.
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साल 2014 और 2019 में लगातार बीजेपी दूसरे नंबर पर रही .साल 2014 में बीजेपी के दिग्गज नेता ओ राजगोपाल को 32.32 फीसदी वोट मिले थे. वह थरूर से मामूली अंतर से हार गए थे. साल 2009 के चुनावों की तुलना में राजगोपाल ने अपने वोट शेयर में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की थी. 2019 में, भाजपा के कुम्मनम राजशेखरन ने भी 31 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे. वहीं थरूर को 41 फीसदी से अधिक वोट मिले थे. थरूर ने 2019 में चार लाख से अधिक वोट हासिल करके वापसी की, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार कुम्मनम राजशेखरन लगभग 3.16 लाख वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे.
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तिरुवनंतपुरम संसद सीट पर दलित मतदाताओं की हिस्सेदारी 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 9.5 फीसदी है. जबकि एसटी मतदाता लगभग न के बराबर हैं. केरल में जिस तरह अल्पसंख्यक मतदाताओं का शेयर है उसके हिसाब से यहां नहीं है. मुस्लिम मतदाताओं की जनसंख्या लगभग 9.1 फीसदी है. इसी तरह ईसाई मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग लगभग 14 फीसदी है. यही वजह है कि यहां बीजेपी को उम्मीद दिख रही है. आपको बता दें कि तिरुवनंतपुरम में हिंदू मतदाता करीब 76.8 फीसदी हैं.
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