भारत में लोकसभा चुनाव जारी हैं और मंगलवार सात मई को इसका तीसरा चरण होना है. इन चुनावों में कई तरह की खास बातें आपको पता लगती होंगी. कोई बहुत बुजुर्ग है और वोट डालने जा रहा है तो कोई एकदम सूनसान जगह से वोट डालने आ रहा है. लेकिन आज हम आपको भारत के ऐसे पोलिंग बूथ्स के बारे में बताते हैं जिनके बारे में आपको शायद बहुत कम पता होगा. ये पोलिंग बूथ्स कई वजहों से काफी खास हैं. आज हम आपको देश के ऐसे बूथ्स के बारे में बताते हैं जो काफी अनोखे हैं.
19 अप्रैल को जब लोकसभा चुनाव का पहला चरण था तो उससे एक दिन पहले यानी 18 अप्रैल को निर्वाचन अधिकारियों की एक टीम चीन सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश के एक दूरदराज के कोने में पहुंची. टीम का मकसद यहां पर एक पोलिंग बूथ स्थापित करना था. मुश्किल रास्तों से होते हुए टीम ने करीब 40 किलोमीटर की पैदल यात्रा की. इस जगह का नाम है मालोगम गांव. आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि यहां पर सिर्फ एक ही मतदाता है. 44 साल की सोकेला तायांग अपना वोट डाल सकें इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग ने सही तरह से उठाई. चुनाव अधिकारियों के अनुसार, मालोगाम में बहुत कम परिवार रहते हैं. तायांग को छोड़कर बाकी सभी मतदान केंद्रों पर रजिस्टर्ड वोटर्स हैं. लेकिन वो किसी और पोलिंग बूथ पर शिफ्ट होने को तैयार नहीं थे. इसलिए मिशन मालोगम को अंजाम दिया गया.
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सात मई को जब लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण है और गुजरात की सभी सीटों पर भी मतदान होना है. गिर जहां बहुत घना जंगल है और पूरी दुनिया में एशियाई शेरों के लिए मशहूर है. मालोगाम की तरह गिर के इसी जंगल में भी एक अनोखा मतदान केंद्र बनाया गया है. यहां पर भी सिर्फ एक वोटर के लिए ही पोलिंग बूथ बनाया गया है. चुनाव आयोग की टीम ने साधु महंत हरिदासजी को उनके मतदान अधिकार के लिए गिर के जंगल में मतदान केंद्र बनाया. चुनाव आयोग की मानें तो हर वोट मायने रखता है और इसलिए ही यह कदम उठाने में वह पीछे नहीं है.
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हिमाचल प्रदेश का टशीगंग न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया का सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ है. यह वह जगह है जिसने पिछले दो चुनावों में 100 फीसदी मतदान दर्ज कराया है. साल 2019 के लोकसभा में पहली बार इस पोलिंग बूथ को स्थापित किया गया और साल 2022 के विधानसभा चुनावों में यहां पर दूसरी बार मतदान हुआ. लाहौल और स्पीति जिले में समुद्र तल से 15,256 फीट की ऊंचाई पर स्थित, टशीगंग चीन के बॉर्डर से सिर्फ 39 किमी की दूरी पर स्थित है. हिमाचल प्रदेश में अंतिम चरण में मतदान होना है.
किन्नौर, लाहौल और स्पीति जिले की चीन के साथ 240 किलोमीटर की सीमा है. इसमें लाहौल और स्पीति में चुमार के बीच 80 किलोमीटर और किन्नौर जिले में दरोटी से मुमती डोगरी तक 160 किलोमीटर की सीमा शामिल है. टशीगंग में मतदान केंद्र पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थापित किया गया था. फिर इसने करीब 14,400 फीट की ऊंचाई पर स्थित हिक्किम को देश के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र के रूप में पछाड़ दिया.
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यह तमिलनाडु के तिरुपथुर जिले में 19 अप्रैल को जब पहले चरण में मतदान हुआ तो यहां का ग्रीन पोलिंग बूथ खबरों में रहा. इसे तमिलनाडु में जलवायु परिवर्तन मिशन के तहत काम करने वाले हमारे जिला कलेक्टर ने कुछ वॉलेंटियर्स के साथ मिलकर स्थापित किया था. राज्य भर में ऐसे करीब 10 बूथ बनाये गये हैं. गर्मी से बचने के लिए छाया के लिए नारियल और बांस की पत्तियों का उपयोग किया गया था. साथ ही केले और ताड़ के पत्तों से मतदाताओं का स्वागत किया गया था. साइनेज फ्लेक्स सामग्री का प्रयोग भी नहीं किया गया और हाथ से लिखे कपड़े के बैनर का यहां पर प्रयोग किया गया. साथ ही ये बूथ सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री बूथ भी थे.
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