भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद और वरुण गांधी की मां मेनका ने आखिरकार इस राज का खुलासा कर दिया है कि उनके बेटे को पार्टी ने इस बार लोकसभा का टिकट क्यों नहीं दिया. मेनका ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में बताया है कि क्यों पार्टी ने बेटे को इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतारा है. वर्तमान समय में वरुण पीलीभीत से बीजेपी के सांसद हैं. बीजेपी ने वरुण की जगह इस बार जितिन प्रसाद को टिकट दिया है.
मेनका गांधी ने पीटीआई को बताया है कि उनके बेटे वरुण को पीलीभीत से बीजेपी का टिकट नहीं मिलने का कोई और कारण नहीं है, सिवाय एक्स (ट्विटर) पर उनकी पोस्ट का. वरुण की पोस्ट्स सरकार के लिए कुछ हद तक आलोचनात्मक थी. मेनका ने कहा कि उन्हें वरुण को पार्टी की तरफ से दोबारा टिकट नहीं मिलने का कोई और कारण समझ नहीं आता है. एक मां के तौर पर उन्हें फैसले से बुरा लगा कि वरुण की जगह जितिन प्रसाद को लिया गया लेकिन यह पार्टी का फैसला था. मेनका गांधी ने कहा, 'मुझे यकीन है कि वरुण बिना टिकट के भी बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे.' उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि वरुण को चुनावी मैदान में होना चाहिए था.
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मेनका, सुल्तानपुर से बीजेपी की उम्मीदवार हैं और यहां पर 25 मई को यानी छठे दौर में मतदान होना है. कहा जा रहा है कि बेटे वरुण गांधी उनके लिए प्रचार करने आ सकते हैं. मेनका ने कहा, वरुण चुनाव प्रचार के लिए आना चाहते हैं लेकिन इस बारे में अभी फैसला नहीं हुआ है. पीलीभीत में पहले चरण में यानी 19 अप्रैल को मतदान हो चुका है. ऐसी अटकलें थीं कि वरुण गांधी एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर सकते हैं. लेकिन उन्होंने खुद को लोकसभा चुनाव से दूर कर लिया.
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टिकट कटने के बाद वरुण गांधी पीलीभीत में नजर नहीं आए हैं. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों में भी शामिल नहीं हुए. टिकट कटने के बाद उन्होंने पीलीभीत के लोगों के नाम एक इमोशनल चिट्ठी लिखी थी. वरुण ने अपनी चिट्ठी में साल 1983 में तीन साल की उम्र में पहली बार पीलीभीत आने का जिक्र किया था.
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उन्होंने लिखा था, 'आज, जब मैं यह चिट्ठी लिख रहा हूं तो अनगिनत यादें मुझे भावुक कर रही हैं. मुझे तीन साल का वह छोटा बच्चा याद आ रहा है जो 1983 में पहली बार अपनी मां की उंगलियां पकड़कर पीलीभीत आया था. उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि एक दिन यह भूमि उनकी कर्मभूमि बन जाएगी और यहां के लोग उनका परिवार बन जाएंगे.'
वरुण ने चिट्ठी में लिखा था कि पीलीभीत की तरफ से उन्हें जो आदर्श मिले हैं वो न सिर्फ एक सांसद के रूप में बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी उनके पालन-पोषण और विकास में मददगार रहे हैं. उन्होंने यहां के मतदाताओं से कहा था कि यहां का प्रतिनिधि होना उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है. साथ ही उन्होंने हमेशा क्षेत्र के मतदाताओं के हितों के लिए अपनी आवाज पूरी क्षमता के साथ उठाई है.
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