टीपू सुल्तान जो पिछले कई वर्षों से कर्नाटक की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आए हैं, अब लगता है कि इस लोकसभा चुनाव में केरल में भी उनका असर देखने को मिलने वाला है. केरल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रमुख के. सुरेन्द्रन ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि अगर वह वायनाड सीट जीतते हैं तो उनकी प्राथमिकता वायनाड जिले के शहर सुल्तान बाथरी का नाम बदलकर गणपति वट्टम करना होगी. सुरेंद्रन वायनाड से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की उम्मीदवार एनी राजा से होगा. वायनाड में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलने वाला है.
सुरेंद्रन ही थे जिन्होंने गुरुवार को एक चुनावी रैली के दौरान टीपू सुल्तान का संदर्भ उठाया. उन्होंने कहा, 'टीपू सुल्तान कौन है? जब बात वायनाड और वहां के लोगों की आती है तो इसका क्या महत्व है? सुरेंद्रन की मानें तो उस जगह को गणपति वट्टम के नाम से जाना जाता था. लोग इस नाम से परिचित हैं और गणपति वट्टम के आदी हो चुके हैं. अब इसका नाम बदल दिया गया है. सुल्तान बाथेरी जो कि एक छोटा सा कस्बा है, दरअसल उसका नाम मैसूर के शासक टीपू सुल्तान और सन् 1789 में मालाबार जो उत्तरी केरल में आता है, उस पर उनकी विजय से जुड़ा हुआ है. टीपू सुल्तान 18वीं सदी के शासक थे.
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सुल्तान बाथरी की कहानी बहुत समृद्ध और साथ ही साथ जटिल भी है. इस वजगह को आदिवासियों, हमलावरों और औपनिवेशिक शासकों की विविध संस्कृतियों ने तरह-तरह से बदला है. केरल टूरिज्म की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार सुल्तान बाथेरी जो केरल का सबसे साफ शहर सुल्तान बाथेरी, असल में मालाबार (उत्तरी केरल) के मैसूर शासन के दौरान हथियारों और गोला-बारूद का डंपिंग ग्राउंड था. बीजेपी नेता के सुंदरन ने दावा किया कि शहर में गोलीबारी उस जगह पर हुई जो कभी जैन मंदिर था.
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सुल्तान बाथरी की वेबसाइट के मुताबिक इस शहर का वास्तविक नाम गणपतिवट्टम ही था और इसका यह नाम यहां पर मौजूद गणपति मंदिर के नाम पर रखा गया था. सन् 1700 के दशक की शुरुआत में मालाबार क्षेत्र पर टीपू सुल्तान का हमला हुआ. यह शहर टीपू सुल्तान के रास्ते पर था, जहां से वह विद्रोह को दबाने के लिए गुजरे थे. ब्रिटिश औपनिवेशिक अभिलेखों के अनुसार, टीपू की सेना ने गणपतिवट्टम शहर को अपनी बैटरी यानी तोपों के समूह को इकट्ठा करने के लिए प्रयोग किया था. इसलिए इस शहर को 'सुल्तान की बैटरी' के रूप में जाना जाने लगा.
टीपू सुल्तान ने वहां एक किला भी बनवाया था, जो अब खंडहर हो चुका है. उन्होंने इस जगह पर तोप लगाई और आज सुल्तान बाथरी का पूरा नाम इसी के नाम पर रखा गया है. अब यही इस शहर का आधिकारिक नाम है, जिसे बीजेपी नेता बदलना चाहते है. यह नाम यहीं तक सीमित रहा और समय के साथ सुल्तान बैटरी का नाम सुल्तान बाथरी हो गया.
यह शहर जैन समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है. कहा जाता है कि 13वीं शताब्दी का एक जैन मंदिर विजयनगर राजवंश के शासनकाल के दौरान बनाया गया था. यह मंदिर अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित स्मारक है.
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मैसूर और अरब सागर के बंदरगाहों के बीच रास्ते पर मौजूद गणपतिवट्टम शहर ने भी एक व्यापारिक केंद्र के तौर पर प्रसिद्धि हासिल की थी. सुल्तान बाथरी नगरपालिका की वेबसाइट के अनुसार, गणपतिवट्टम के महत्व और प्रासंगिकता का जिक्र अक्सर कई रिपोर्ट्स में किया गया है.
ब्रिटिश इतिहास में 'गणपतिपलायम' नामक क्षेत्र में स्थित एक पुलिस पिकेट का भी जिक्र है. इस वजह से ही अंग्रेजों ने शहर का नाम सुल्तान बाथरी रख दिया, क्योंकि गणपतिवट्टम में टीपू सुल्तान का हथियारों का डिपो था. बाद में, ब्रिटिश राजपत्रों और इतिहासकारों ने इस शहर को सुल्तान बैटरी के नाम से संदर्भित किया. हालांकि, नाम बदलने वाले बयान पर सुरेन्द्रन की वाम दलों और कांग्रेस ने आलोचना की है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी ने कहा, 'यह केरल है, आप जानते हैं न? ऐसा नहीं होगा. वह वैसे भी नहीं जीतेंगे और वह नाम भी नहीं बदलेंगे.'
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