महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार को एक और नया मोड़ आया जब राज्य के पूर्व सीएम और कांग्रेस के पुराने नेताओं में शुमार अशोक चव्हाण ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया. चव्हाण ने एक दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया था. चव्हाण से पहले कांग्रेस के नेता रहे मिलिंग देवड़ा और बाबा सिद्दीकी भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं. माना जा रहा है कि चव्हाण के बाद अब पार्टी के कुछ और नेता बीजेपी में शामिल हो सकते है. राजनीति के जानकारों की मानें तो बीजेपी के लिए चव्हाण का आना फायदेमंद हो सकता है.
चव्हाण महाराष्ट्र के लोकप्रिय नेता शंकरराव चव्हाण के बेटे हैं और मराठवाड़ा क्षेत्र में उनका काफी दबदबा है. पूर्व सीएम 38 साल तक कांग्रेस के साथ थे और 65 साल के चव्हाण इस बात से नाराज थे कि आलाकमान ने पहले उन्हें राज्य पार्टी प्रमुख बनाने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा नामांकन से इनकार कर दिया. सूत्रों के मुताबिक नांदेड़ में चव्हाण की पकड़ काफी मजबूत है. बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा के लिए समर्थन देने का फैसला किया है. कहा जा रहा है कि बीजेपी के इस कदम से अप्रैल-मई में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को फायदा होगा. चव्हाण 13 फरवरी को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए.
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बीजेपी में शामिल होने से पहले चव्हाण ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा ,'आज यह मेरे राजनीतिक करियर की नई शुरुआत है. मुझे उम्मीद है कि हम महाराष्ट्र के रचनात्मक विकास के लिए काम करेंगे. मराठवाड़ा क्षेत्र में अशोक चव्हाण एक मजबूत नेता हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि 10 से 15 विधायक अशोक चव्हाण के संपर्क में हैं. अशोक चव्हाण 1986 से 1995 तक महाराष्ट्र प्रदेश युवा कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और महासचिव थे. उन्होंने 1999 से शुरू होकर मई 2014 तक तीन कार्यकाल के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में कार्य किया.
चव्हाण ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमलों के बाद राज्य के सीएम बने थे. आठ दिसंबर 2008 से लेकर 9 नवंबर 2010 तक उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया. नौ नवंबर 2010 को कांग्रेस पार्टी ने उन्हें आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों पर पद से इस्तीफा देने के लिए कहा. साल 2014 के आम चुनावों में चव्हाण नांदेड़ निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए, लेकिन 2019 में भाजपा के प्रताप पाटिल चिखलीकर से सीट हार गए. वह महाराष्ट्र में कांग्रेस की नैया छोड़ने वाला तीसरा बड़ा नाम हैं. सबसे पहले जाने वाले थे दक्षिण मुंबई के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, उनके बाद पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी थे.
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