Mango: 20 साल पुराने पेड़ पर लगे 121 किस्म के आम, कई साल के रिसर्च के बाद मिली कामयाबी

Mango: 20 साल पुराने पेड़ पर लगे 121 किस्म के आम, कई साल के रिसर्च के बाद मिली कामयाबी

Saharanpur news: सहारनपुर में एक ही पेड़ पर दशहरी, लंगड़ा, चौसा, रामकेला, आम्रपाली, लखनऊ सफेदा, टॉमी एट किंग्स, पूसा सूर्या, रटौल, सहारनपुर अरुण, सहारनपुर वरुण, सहारनपुर सौरभ, सहारनपुर गौरव, और सहारनपुर राजीव जैसी प्रमुख और स्थानीय किस्म के फल लग रहे हैं.

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20 साल पुराने पेड़ पर लगे 121 किस्म के आम, कई साल के रिसर्च के बाद मिली कामयाबीएक पेड़ पर लगे 121 किस्म के आम

Mango: सहारनपुर जिले के कंपनी बाग स्थित औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र में आम के एक मात्र पेड़ पर 121 किस्मों के आम की पैदावार एक चमत्कारी बागवानी प्रयोग का परिणाम है. यह अनूठा प्रयास करीब 9 से 10 साल पहले शुरू किया गया था. उस समय 10 साल पुराने देसी आम के एक पेड़ को चुना गया और उस पर विभिन्न किस्मों की आम की कलमें (ब्रांच) लगाई गईं.

सहायक उद्यान विशेषज्ञ आकाश कनौजिया नें बताया कि यह प्रयोग न केवल आम की विभिन्न प्रजातियों पर शोध करने के लिए था, बल्कि आम प्रेमियों को एक ही स्थान पर कई तरह के स्वादिष्ट आमों का अनुभव देने का उद्देश्य भी था. इस पेड़ पर अब दशहरी, लंगड़ा, चौसा, रामकेला, आम्रपाली, लखनऊ सफेदा, टॉमी एट किंग्स, पूसा सूर्या, रटौल, सहारनपुर अरुण, सहारनपुर वरुण, सहारनपुर सौरभ, सहारनपुर गौरव, और सहारनपुर राजीव जैसी देश-विदेश की प्रमुख और स्थानीय किस्म के फल लग रहे हैं. इन कलमों को उच्च गुणवत्ता, रोगमुक्त और स्वस्थ स्रोतों से लिया गया था.

किचन गार्डन में भी अपना सकते हैं यह तकनीक

इस पेड़ की देखरेख के लिए विशेष नर्सरी इंचार्ज नियुक्त किए गए थे. इस प्रयोग से कृषि जैव विविधता को बढ़ावा मिल रहा है और किसानों को नई किस्मों की जानकारी और उत्पादन बढ़ाने के नए अवसर मिल रहे हैं. आकाश कनौजिया के अनुसार, इस मॉडल को किसान अपने किचन गार्डन या फार्म हाउस पर अपनाकर आम की विभिन्न किस्मों की पैदावार एक ही पेड़ पर ले सकते हैं. इस पेड़ की खासियत को दूर-दूर से देखने के लिए लोग आते हैं इसीलिए इस पेड़ तक जाने के लिए एक स्पेशल सड़क भी बनाई गई है.

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यह तकनीक विशेष रूप से बौनी किस्मों के लिए उपयुक्त है, जो कम जगह में उगाई जा सकती है और जिनकी बाजार में मांग भी अधिक होती है. इस तरह का प्रयोग किसानों की आमदनी बढ़ाने और नई किस्मों के प्रचार-प्रसार का एक सफल माध्यम बनता जा रहा है. अधिकारी भविष्य में इस पेड़ के प्रदर्शन और उससे जुड़ी प्रगति से भी लोगों को अवगत कराने की योजना बना रहे हैं.

आम पर 2016 में शुरू हुआ था रिसर्च

आकाश कनौजिया, उद्यानिक एवं प्रशिक्षण केंद्र सहारनपुर में सहायक उद्यान विशेषज्ञ पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा, इस अनोखे आम के वृक्ष पर हमारे वैज्ञानिकों ने सन 2016 के आसपास आम की 121 प्रजातियां की कलम बांधी थी. अब उसका रिजल्ट दिख रहा है. इससे किसान भाइयों की न केवल आय बढ़ेगी बल्कि जैव विविधता को भी बढ़ावा मिलेगा. इसमें हमने जो आमों की कलम ली थी वह रोग मुक्त ली थी, उच्च गुणवत्ता वाली ली थी, जो स्वच्छ और स्वस्थ हो. इससे जो हमारे किसान भाई हैं सहारनपुर क्षेत्र के बागवान हैं, उनको आम की प्रजाति लगाने के लिए प्रेरणा मिलती है. साथ ही उसकी आय भी बढ़ेगी. 

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कनौजिया ने कहा, इसकी प्रगति से हम आपको भविष्य में अवगत कराएंगे कि यह कैसा परफॉर्मेंस दे रहा है. इसमें मुख्य तौर से रंगीन प्रजातियां हैं, उन पर फोकस किया गया था. जैसे जो भी बौनी किस्म की प्रजातियां हैं वह सभी लगाई गई हैं, जो कि कम दूरी पर लगाई जाती हैं, और उनकी मार्केट वैल्यू भी अच्छी होती है. सभी प्रजातियां इसलिए लगाई गई हैं ताकि किसान भाइयों को नई-नई प्रजातियों के बारे में पता लग सके.

 

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