धान की फसल पीली क्यों पड़ती है? यूपी कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी, जानें बचाव के उपाय

धान की फसल पीली क्यों पड़ती है? यूपी कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी, जानें बचाव के उपाय

Paddy Crop News: डॉ पंकज त्रिपाठी किसानों से अपील करते हुए कहा कि इसके बचाव के लिए खेत में पानी निकास की उचित व्यवस्था रखें. वहीं कल्ले निकलते समय नाइट्रोजन और जिंक का छिड़काव करें. जबकि समय पर रोग कीट प्रबंधन अपनाएं. उन्होंने बताया कि पीलापन आने की वजह से धान के पौधे का विकास रुक जाता है.

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धान की फसल पीली क्यों पड़ती है? यूपी कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी, जानें बचाव के उपायधान की रोपाई करती महिलाएं

खरीफ के सीजन में उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. बरसात के मौसम में धान की फसल में कई तरह के कीट और रोग लग जाते हैं. ऐसे में उप्र कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए कुछ सुझाव अपने सोशल मीडिया हैंडल पर साझा किए है. वैज्ञानिक और कृषि निदेशक डॉ पंकज त्रिपाठी ने बताया कि धान की फसल में लगने वाला जड़ गलन रोग एक गंभीर समस्या है जो धान की फसल में आमतौर पर रोपाई के 20-30 दिनों बाद दिखाई देने लगता है. दरअसल,धान की पत्तियां नाइट्रोजन और जिंक की कमी के कारण पीली पड़ने लगती हैं. उन्होंने कहा कि कई बार खेतों में कई दिन तक पानी भर जाने के कारण जड़ें सड़ने लगती हैं और फसल पीली पड़ जाती है. 

डॉ पंकज त्रिपाठी किसानों से अपील करते हुए कहा कि इसके बचाव के लिए खेत में पानी निकास की उचित व्यवस्था रखें. वहीं कल्ले निकलते समय नाइट्रोजन और जिंक का छिड़काव करें. जबकि समय पर रोग कीट प्रबंधन अपनाएं. उन्होंने बताया कि पीलापन आने की वजह से धान के पौधे का विकास रुक जाता है. सही विकास न होने पर उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. 

उप्र कृषि विभाग ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी
उप्र कृषि विभाग ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी

डॉ त्रिपाठी ने बताया कि एक्सपर्ट द्वारा बताए हुए खरपतवार नाशक का ही इस्तेमाल करना चाहिए. इसलिए, रोपाई के बाद शुरुआती हफ्तों में पौधों की नियमित रूप से निगरानी करना महत्वपूर्ण होता है.

प्रदेश के कृषि निदेशक डॉ पंकज त्रिपाठी बताते हैं कि खेत में जल जमाव न होने दें. जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें ताकि पानी रुकने से जड़ें गल न सकें.अधिक सिंचाई से बचें और पौधों की जरूरत के अनुसार ही पानी दें. वहीं उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें. जैविक खाद का उपयोग करें.जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे. उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में हर तरफ नदियां उफान पर हैं. लगातार हो रही बारिश ने आम जनजीवन तबाह कर दिया है. गंगा समेत कई बड़ी नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं, जिससे इन नदियों के किनारे बसे कई गांव में बाढ़ की स्थिति हो गई है. चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ी हुई है.

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