अनानास का फल आजकल आपको किसी भी फल की दुकान पर देखने को मिल जाएगा. अनानास के नाम से जाना जाने वाला यह फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है. भारत में अनानास की खेती मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में होती है. वहीं, अब इसकी खेती बिहार, केरल,आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में होने लगी है.पश्चिम बंगाल में अनानास की खेती साल भर की जाती है. रेतीली मिट्टी में बेहतर उपज देने वाले इस फल की खेती पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और इसके आसपास के जिलों में बड़े पैमाने पर की जाती है. इन दिनों सिलीगुड़ी से अनानास देश के तमाम फल बाजारों में पहुंच रहा है. गर्मियों में अनानास का इस्तेमाल ज्यादातर जूस बनाने के लिए किया जाता है. इस कारण किसानों को मार्च-अप्रैल के महीने में अनानास के अच्छे दाम भी मिलते हैं. कुल मिलाकर अनानास की खेती कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है.
वाराणसी की पहाड़िया फल मंडी में इन दिनों अनानास की खपत बढ़ गई है, यहां रोजाना 10 से 15 टन अनानास बिक रहा है, जिससे व्यापारियों का मुनाफा भी बढ़ गया है. वहीं भारत में अनानास की खेती की बात करें तो अब व्यापक रूप से किसानों द्वारा अनानास की खेती की जाती है.भारत दुनिया में अनानास के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. वहीं यहां से दूसरे देशों को निर्यात भी किया जाता है. यह कैक्टस प्रजाति का सदाबहार फल है, जिसकी खेती 12 महीने तक चलती है. वर्तमान में अपने देश में 90 हजार से 1 लाख हेक्टेयर भूमि पर अनानास की खेती की जा रही है. वाराणसी के जिला उद्यान अधिकारी शैलेंद्र दुबे ने बताया कि अनानास की खेती में एक हेक्टेयर खेत में 20 हजार तक का खर्च आता है, जबकि प्रति हेक्टेयर 3 से 4 टन फल का उत्पादन होता है. लागत घटाने के बाद किसान को प्रति हेक्टेयर डेढ़ से दो लाख रुपये तक का मुनाफा होता है.
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अनानास की खेती के लिए बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है इसीलिए अपने देश में पश्चिम बंगाल ,असम, आंध्र प्रदेश, केरल, त्रिपुरा और मिजोरम, में अनानास की खेती खूब होती है. वहीं इस खेती में मिल रहे लाभ के देखते हुए बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के किसानों के द्वारा अनानास की खेती की जाने लगी है.
वाराणसी के जिला उद्यान अधिकारी ने बताया की इसकी बुवाई मिट्टी या रेतीली दोमट भूमि में की जाती है. अनानास की मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए.जल भराव वाली भूमि में अनानास की खेती नही करना चाहिए. खेत जुताई के पहले अच्छी गोबर की सड़ी खाद का उपयोग होता है.अनानास की खेती फल के ऊपरी हिस्से यानी ताज (फल के कलम) की रोपाई करनी होती है. मानसून या बारिश होने पर अनानास की रोपाई का काम नहीं करना चाहिए. जिन इलाकों में नमी युक्त गर्म जलवायु होती है, वहां इसकी खेती पूरे साल की जा सकती है. अनानास का फल पौधे पर एक ही बार लगता है.
अनानास का सेवन स्वास्थ्य लाभों से भरपूर माना जाता है. इस फल में कुछ एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं. इसके अलावा यह विटामिन सी से भरपूर होता है, जो इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. गठिया जैसे रोगों में अनानास का सेवन फायदेमंद माना गया है.यह फल पेट की बीमारियों में रामबाण की तरह काम करता है.अनानास की खेती में भी किसानों को काफी फायदा मिलता है.
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