लेमनग्रास (Lemon grass) एक औषधीय पौधा है. इसकी खेती का रूझान किसानों के बीच बड़ा है. इसके पीछे का सार ये है कि लेमन ग्रास की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है. कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा बताया जाता है कि लेमन ग्रास की खेती किसान बंजर जमीन पर भी कर सकते हैं. इसकी खेती करने से सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें न तो सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है और ना ही इस फसल को छुट्टा पशुओं से नुकसान का खतरा. उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड और बाराबंकी जिले में बड़े पैमाने पर किसानों के द्वारा लेमन ग्रास की खेती अब मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. कुल मिलाकर लेमन ग्रास की खेती से जुड़े फायदे का समझा जाए तो कहा जा सकता है कि लेमन ग्रास को एक बार लगाने के बाद किसान 6 साल तक फसल काट सकता है. साल में 5 से 6 बार तक इसकी कटाई होती है.
लेमन ग्रास की खेती इन दिनों किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. इस खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है. इसकी खेती करने वाले लखनऊ के सरोजनी नगर के किसान संतोष बताते हैं कि शुरुआत में प्रति एकड़ 30 से 40000 रुपये तक का खर्च आता है. एक एकड़ जमीन पर इसके लिए 10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है. नर्सरी की तैयारी करने के बाद जून-जुलाई के महीने में लेमन ग्रास के पौधे की रोपाई की जाती है. लेमन ग्रास की खेती के लिए उपजाऊ भूमि की जरूरत नहीं होती है. बल्कि यह बंजर और कम उपजाऊ भूमि पर भी आसानी से तैयार होने वाली फसल है. लेमन ग्रास को तैयार होने में 70 से 80 दिन का समय लगता है. साल भर में लेमन ग्रास की फसल से 5- 6 कटाई की जाती है. वहीं एक बार लगाने के बाद अगले 6 सालों तक यह मुनाफा देने वाली फसल बन जाती है.
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लेमन ग्रास की खेती करने वाले किसानों को साल भर में केवल 2 से 3 निराई ,गुड़ाई और चार से पांच सिंचाई की जरूरत होती है. इसकी खेती करने में छुट्टा जानवरों का भी कोई खतरा नहीं होता है. लेमन ग्रास से तेल ही नहीं निकाला जाता है बल्कि कई सारे वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट भी तैयार किए जाते हैं, जिनसे किसानों को बड़ी कमाई होती है. भारत लेमन ग्रास आयल का एक बड़ा निर्यातक देश है. यहां से हर साल 700 टन लेमन ग्रास आयल का निर्यात किया जाता है. लेमन ग्रास की खेती में प्रति एकड़ 150 से 200 टन उत्पादन मिलता है, जिससे डेढ़ सौ लीटर तक तेल निकल आता है. बाजार में लेमनग्रास का तेल 1200 से 1300 रुपये लीटर के भाव में बेचा जाता है. इस लिहाज से देखा जाए तो इसकी खेती से प्रति एकड़ डेढ़ लाख तक की कमाई हो जाती है. लेमनग्रास से तेल ही नहीं बल्कि इसे सुखाकर चाय पत्ती भी बनाई जाती है. यहां तक कि इसके आयल का प्रयोग कई आयुर्वेदिक दवाओं और साबुन बनाने में भी किया जाता है.
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