उत्तर प्रदेश में अब तक 2.43 लाख टन धान खरीदी गई (फाइल फोटाे)उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर से एमएसपी पर धान की सरकारी खरीद चल रही है. राज्य सरकार ने अब तक 2.43 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीद की है. इस दौरान 41,583 किसानों से उपज खरीदी गई. यह खरीद प्रदेशभर में बने 4,110 केंद्रों के माध्यम से की जा रही है. सरकारी बयान के अनुसार, सामान्य धान का समर्थन मूल्य 2,369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान का मूल्य 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. धान खरीद के लिए अब तक 3,58,372 किसानों ने पंजीकरण कराया है.
खरीफ मार्केटिंग सीजन की यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर से हरदोई, लखीमपुर खीरी और सीतापुर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में और 1 नवंबर से लखनऊ, उन्नाव और रायबरेली जैसे पूर्वी जिलों में शुरू की गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों को धान खरीदी का भुगतान 48 घंटे के भीतर उनके आधार से जुड़े बैंक खातों में सीधे डीबीटी के जरिए किया जा रहा है.
खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और बिचौलियों को रोकने के लिए सभी केंद्रों पर ई-पॉइंट ऑफ परचेज (e-POP) डिवाइस से बायोमेट्रिक सत्यापन किया जा रहा है. साथ ही किसानों की सुविधा के लिए शिकायत या जानकारी के लिए टोल-फ्री नंबर 1800 180 0150 जारी किया गया है.
इधर, इससे पहले बीते दिनों सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के किसानों और राइस मिलरों के लिए एक बड़ा राहत पैकेज घोषित किया. सरकार ने नॉन-हाइब्रिड धान की कुटाई पर 1 प्रतिशत की रिकवरी छूट देने का फैसला लिया. इस कदम से 13 से 15 लाख किसानों और 2000 से अधिक राइस मिलों को सीधा लाभ मिलेगा. योगी सरकार इसके लिए 167 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति देगी. इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और राज्य में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा.
सरकार का मानना है कि इस राहत से धान खरीद प्रक्रिया तेज होगी और मिलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. इस छूट से अब प्रदेश को पीडीएस के लिए बाहर से चावल मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे बचत होगी. पहले से ही हाइब्रिड धान की कुटाई पर 3 प्रतिशत की छूट लागू है, जिसके लिए हर साल लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
नॉन-हाइब्रिड धान में रिकवरी कम होने के कारण कई मिलें सरकारी खरीद में भाग नहीं लेती थीं, लेकिन अब वे सक्रिय रूप से हिस्सा लेंगी. इससे मिल उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी, मशीनों के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी और किसानों को अपनी सभी किस्मों के धान की बिक्री के अधिक अवसर मिलेंगे. (एजेंसी इनपुट के साथ)
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