बेल औषधिय गुणों से भरपूर है. वही अब किसान भी बेल की बागवानी से अच्छा मुनाफा कमाने लगे हैं. बेल की ऐसी किस्म मौजूद है जिनका उत्पादन अच्छा है. किसान बेल की इन किस्मों की वैज्ञानिक तरीके से खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा बेल की एक से बढ़कर एक उन्नत प्रजातियां विकसित की गई हैं. इनमें नरेंद्र बेल-5, नरेंद्र बेल-6, नरेंद्र बेल-7, नरेंद्र बेल-9 और नरेंद्र बेल-16 चर्चित किस्में हैं जिनको आज भी किसानों के द्वारा उगाया जा रहा है.
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के हॉर्टिकल्चर विभाग के डीन डॉ. संजय पाठक ने किसान तक को बताया कि बेल की नरेंद्र-9 किस्म किसानों के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर हो रही है क्योंकि इसका आकार 6.5 किलो तक होता है. वहीं बेल की खेती के माध्यम से किसानों को प्रति पेड़ 15 से 20,000 रुपये तक का फायदा होता है.
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय और केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा बेल की एक से बढ़कर एक किस्में विकसित की गई हैं.
नरेंद्र बेल- 5 : बेल की इस किस्म से भरपूर उत्पादन मिलता है. इसका फल मीडियम आकार का होता है. इस बेल का औसत वजन 01 किलो तक होता है. वहीं इसका गूदा मुलायम और कम गोंद वाला होता है. खाने में काफी ज्यादा स्वादिष्ट होता है.
नरेंद्र बेल-6: नरेंद्र बेल-6 का औसत वजन 600 ग्राम होता है. वहीं इसका गूदा मुलायम और कम गोंद वाला होता है. खाने में इसका स्वाद हल्का खट्टा होता है. कैंडी बनाने में इसका खूब प्रयोग होता है.
नरेंद्र बेल-7: यह काफी बड़े आकार का होता है. किसानों के द्वारा इसकी बागवानी बड़े पैमाने पर की जा रही है. यह गोल और इसका रंग हरा-सफेद होता है.
ये भी पढ़ें :Agriculture Drone: कृषि ड्रोन से अपने खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करा सकते हैं इस राज्य के किसान
नरेंद्र बेल-16: बेल की यह एक उन्नत किस्म है. इसके फल का आकार अंडाकार और गूदा पीले रंग का होता है. इसमें रेशे की मात्रा भी कम होती है.
नरेंद्र बेल-17: बेल की एक उन्नत किस्म है. इसके फल का आकार मध्यम होता है.
सीआईएसएच बी-1: बेल की इस किस्म को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के द्वारा विकसित किया गया है. इसके फल का आकार अंडाकार होता है. वहीं वजन 1 किलो तक होता है. इसका गूदा स्वादिष्ट और गहरे पीले रंग का होता है. एक वृक्ष पर 50 से 80 किलो तक के फल लगते हैं.
सीआईएसएच बी-2: बेल की यह किस्म अंडाकार होती है. वहीं इसका वजन डेढ़ से ढाई किलो तक होता है. इसका गूदा स्वादिष्ट और रंग संतरी पीले रंग का होता है. इसमें रेशे और बीजों की मात्रा कम होती है.
बेल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और फाइबर की मात्रा भरपूर होती है. वहीं बेल पोटेशियम का भी महत्वपूर्ण स्रोत होता है. इसके साथ ही बेल फंगस इंफेक्शन, वायरस और बैक्टीरिया के इंफेक्शन से भी बचाता है. बेल में कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं जो सेल्स को फ्री रेडिकल जैसे डैमेज से बचाते हैं. इसके अलावा किडनी के रोगियों के लिए बेल का सेवन फायदेमंद माना गया है. किडनी से सोडियम की ज्यादा मात्रा को निकालना और किडनी को साफ करने में बेल मदद करता है. इसके अलावा नसों और धमनियों में होने वाले तनाव को भी बेल कम करता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today