सर्दियों में जमकर खाई जाती है मटर मटर सर्दियों की एक ऐसी फसल है जो लगभग रोजाना ही घर में कभी पुलाव तो कभी सब्जी तो कभी नाश्ते में खाई जाती है. मटर रबी के मौसम की फसल है और यह सीजन शुरू होते ही किसान अपनी फसल की प्लानिंग करते हैं. इस समय मटर की खेती सबसे ज्सादा फायदेमंद ऑप्शन साबित हो रही है. कम समय में तैयार होने वाली यह फसल, अगर सही टेक्नोलॉजी और मार्केट की जानकारी का इस्तेमाल किया जाए तो किसानों को लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकती है. भारत में पिछले कुछ सालों में मटर की डिमांड काफी बढ़ी है और शहरों, सुपरमार्केट, होटल इंडस्ट्री और फूड प्रोसेसिंग कंपनियों में इस फसल की बहुत ज्यादा डिमांड है. मटर की खेती करते समय कई अहम बातों का ध्यान रखना पड़ता है.
मटर के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और दिसंबर के बीच माना जाता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस समय में मटर को बोना सबसे अच्छा होता है. इस फसल के लिए हल्की से मीडियम काली, अच्छी पानी निकलने वाली मिट्टी सही रहती है. एक एकड़ के लिए हर पौधे के लिए लगभग 18 से 20 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. बोते समय लाइन के बीच 45 सेंमी की दूरी रखें. इससे पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है.
सबसे जरूरी बात यह है कि मटर की फसल को दूसरी फसलों के मुकाबले कम पानी की जरूरत होती है. इसलिए, यह फसल उन किसानों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है जिनके पास सिंचाई की सुविधा नहीं है. अगर फर्टिलाइजर मैनेजमेंट, खरपतवार कंट्रोल और बीमारी कंट्रोल ठीक से किया जाए, तो पैदावार अच्छी होती है.
मटर की खेती में प्रति एकड़ खर्च दूसरी सब्जियों की फसलों के मुकाबले कम आता है. बीज, जुताई, खाद, पानी, पेस्टीसाइड और मजदूरी मिलाकर एक एकड़ का कुल खर्च आम तौर पर 15,000 से 19,000 रुपये होता है. सही प्लानिंग से एक एकड़ से औसतन 25 से 35 क्विंटल मटर पैदा हो सकती है. बाजार में इसका दाम आम तौर पर 60 से 120 रुपये प्रति किलो होता है. इसमें से अगर 70 से 90 रुपये का औसत दाम भी मान लिया जाए तो किसान एक एकड़ से 1,60,000 से 2,70,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. अगर खर्च निकाल दिया जाए तो प्रति एकड़ नेट प्रॉफिट 1,40,000 से 2,50,000 रुपये होता है.
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