पश्चिम बंगाल में आलू की बुवाई पर बंपर उत्पादन का असर, इस साल रकबा घटने की आशंका

पश्चिम बंगाल में आलू की बुवाई पर बंपर उत्पादन का असर, इस साल रकबा घटने की आशंका

पिछले साल हुए बंपर उत्पादन और गिरते दामों के कारण पश्चिम बंगाल में इस साल आलू की खेती का कुल रकबा स्थिर या थोड़ा घट सकता है. हुगली जैसे बड़े उत्पादक जिलों में बाढ़ से खेत जलमग्न होने के कारण बुवाई प्रभावित हुई है, जबकि नॉर्थ बंगाल में रकबे में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

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Potato Cultivation: आलू की बुवाई पर बंपर उत्पादन का असर, इस साल रकबा घटने की आशंकापश्चिम बंगाल में आलू की खेती का रकबा घट सकता है

पश्चिम बंगाल में आलू की खेती का कुल एरिया इस साल पिछले साल के मुकाबले बढ़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि राज्य के कुछ बड़े आलू उगाने वाले इलाकों में रकबा कम हो सकता है. बंगाल, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा आलू प्रोड्यूसर है, में 2024-25 में आलू की खेती की जमीन करीब 4.9 लाख हेक्टेयर थी. पिछले साल राज्य में आलू का कुल प्रोडक्शन करीब 115 लाख टन होने का अनुमान था, जो बंपर प्रोडक्शन था.

पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के एक सीनियर मेंबर पतित पावन डे ने 'बिजनेसलाइन' को बताया, “इस साल, खेती का कुल एरिया पिछले साल के मुकाबले उतना ही रह सकता है या थोड़ा कम हो सकता है. बुवाई का एरिया कम हो सकता है क्योंकि पिछले साल बंपर प्रोडक्शन के कारण किसानों को आलू के अच्छे दाम नहीं मिले थे.”

बंगाल में आलू की बुवाई 70 परसेंट पूरी

डे ने कहा, “राज्य में आलू की लगभग 65-70 परसेंट बुवाई पूरी हो चुकी है. आलू की बुवाई अगले दो हफ्तों में पूरी होने की उम्मीद है.” साउथ बंगाल में हुगली, बर्धमान और पश्चिम मेदिनीपुर राज्य के तीन सबसे बड़े आलू उगाने वाले जिले हैं.

हालांकि, इस साल हुगली में बुवाई के एरिया में थोड़ी कमी आ सकती है क्योंकि जिले के कुछ खेत अभी भी बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. सितंबर महीने में बंगाल के कई जिलों में भारी बारिश हुई.

हुगली जिले के हरिपाल गांव के किसान प्रद्युत मैती ने कहा, “इस बार मैंने पिछले साल के मुकाबले थोड़े कम एरिया में आलू बोया है क्योंकि मेरे खेत का लगभग छह कट्ठा हिस्सा पानी में डूबा हुआ है. कई किसानों को इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.”

इन तीन जिलों में आलू का रकबा बढ़ा

नॉर्थ बंगाल में आलू की खेती में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. डे ने आगे कहा, “कूच बिहार, जलपाईगुड़ी और मालदा जैसे जिलों में खेती का एरिया बढ़ रहा है.”

पिछले साल की पैदावार की बात करें लगभग 1.4 करोड़ टन की जबरदस्त पैदावार रही जो पिछले साल के 1.3 करोड़ टन से ज्यादा थी. खेती का एरिया 4.6 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 5.1 लाख हेक्टेयर करने के बावजूद, उस साल पैदा हुए आलू की भारी मात्रा ने स्टोरेज को लेकर किसानों में बड़ी चिंता पैदा कर दी थी.

राज्य में 475 कोल्ड स्टोरेज हैं जिनकी कुल कैपेसिटी 70 लाख टन है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सरप्लस को देखते हुए यह कम है. राज्य की सालाना खपत सिर्फ 65 लाख टन है, जिससे बाजार में ज्यादा सामान और गिरती कीमतों को रोकने के लिए 85 लाख टन एक्सपोर्ट करने की जरूरत पड़ती है.

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