क्यों खास बन गया ओडिशा का मिलेट मिशन, इस मॉडल की क्यों हो रही तारीफ

क्यों खास बन गया ओडिशा का मिलेट मिशन, इस मॉडल की क्यों हो रही तारीफ

ओडिशा मिलेट्स मिशन की इसीलिए तारीफ हो रही है. बाजार में मोटे अनाज की बहुतायत न हो और कीमतें कम न हों, इसके लिए राज्य सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली और एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) में मोटे अनाजों को शामिल किया. नीति आयोग को यह विचार पसंद आया और उसे लगा कि अन्य राज्य भी इससे सीख ले सकते हैं.

Advertisement
क्यों खास बन गया ओडिशा का मिलेट मिशन, इस मॉडल की क्यों हो रही तारीफओडिशा का मिलेट मिशन बना खास

मिलेट्स यानी मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा में एक ऐसा मॉडल शुरू किया गया है जिससे देश भर में इसके उत्पादक किसानों में उत्साह पैदा किया जा सकता है. आम लोगों की थाली तक मोटे अनाजों को पहुंचाया जा सकता है. ओडिशा मिलेट्स मिशन की इसीलिए तारीफ हो रही है. बाजार में मोटे अनाज की बहुतायत न हो और कीमतें कम न हों, इसके लिए राज्य सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली और एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) में मोटे अनाजों को शामिल किया. 

नीति आयोग को यह विचार पसंद आया और उसे लगा कि अन्य राज्य भी इससे सीख ले सकते हैं. इस मिशन का उद्देश्य मोटे अनाजों की कीमत बढ़ाना था, ताकि किसान इसे पैदा करें. साथ ही इसका मकसद शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मोटे अनाज की खाद्य संस्कृति को बढ़ावा देना है. फायदा यह भी है कि मिलेट-आधारित फसल प्रणालियों से पर्यावरण अनुकूल खेती होगी, क्योंकि इन फैसलों में पानी की खपत कम होती है. 

ये भी पढ़ें: नास‍िक की क‍िसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-क‍िसानी से रखना चाहती हैं दूर

मिलेट ईयर ने क्या काम किया?

मोटे अनाजों को लेकर चर्चा पिछले साल अपने चरम पर पहुंच गई थी. जब 2023 में दुनिया ने भारत की पहल पर इंटरनेशनल मिलेट ईयर मनाया. इससे देश में मोटे अनाजों को लेकर जागरूकता पैदा हुई है. काफी लोगों की थाली तक मोटे अनाज पहुंच गए हैं. इस बीच ओडिशा ने एक दिलचस्प मॉडल पेश किया. ओडिशा मिलेट्स मिशन (ओएमएम) के तहत किसानों से मोटे अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गए. भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस की एक शाखा में कहा है कि यह मिशन कई मायने में सफल रहा है. 

शुरुआत 30 ब्लाकों से हुई थी

साल 2017-18 में सात जिलों के 30 ब्लॉकों में यह पहल शुरू की गई थी. इसे सफल बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों और किसान उत्पादक संगठनों और उद्यमियों को शामिल किया गया. यहां के छोटे किसानों, जिनमें अधिकतर आदिवासी हैं, के लिए यह पहल महत्वपूर्ण मानी गई. ओडिशा में कृषि और किसान सशक्तिकरण के प्रमुख सचिव अरबिंद कुमार पाधी का दावा है कि मिलेट्स की मूल्य श्रृंखला का जमीनी स्तर पर परिवर्तन हो रहा है.

ये भी पढ़ें: Farmers Protest: दिल्ली-हरियाणा के आंदोलनकारियों को महाराष्ट्र के किसानों का समर्थन, प्याज की एमएसपी मांगी 

 

POST A COMMENT