हरियाणा की कुछ चावल मिलों में बिहार के धान को पकड़ा गया है. करनाल जिले के घरौंडा, इंद्री, कुंजपुरा में चावल मिलों के बाद अब मोहिदीनपुर की मिल में बिहार के धान का 3000 क्विंटल स्टॉक पकड़ा गया है. मिल मालिक ने स्वीकार किया है कि उसने बिहार से धान खरीदा है. इसकी जांच के निर्देश दिए गए हैं. बता दें कि बिहार से सस्ता धान लाकर सीएमआर नीति का गलत फायदा उठाकर राज्य एजेंसियों को महंगे दाम में बेचने की संदिग्ध घोटालेबाजी सामने आई है. करनाल जिले के अतिरिक्त उपायुक्त ने जिला सतर्कता समिति को जांच करने की सिफारिश की है.
करनाल जिले के मोहदीनपुर में एक चावल मिल में बिहार से भारी मात्रा में धान बरामद होने के बाद अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) यश जालुका ने जिला सतर्कता समिति के जरिए जांच करने की सिफारिश की है. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार मिल मालिक ने बिहार से धान खरीदने की बात स्वीकार की है. प्रशासन ने बाद में बाजार शुल्क और हरियाणा ग्रामीण विकास शुल्क (एचआरडीएफ) वसूल किया. अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) यश जालुका ने कहा कि मुझे रिपोर्ट मिली है, जिसमें कई गड़बड़ियां बताई गई हैं. मैंने पूरी प्रक्रिया का पता लगाने के लिए जांच की सिफारिश की है.
डीएमईओ सौरभ चौधरी ने जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) को पत्र लिखकर बिहार के धान की बरामदगी वाली मिल में किए गए फिजिकल वेरीफिकेशन का ब्योरा मांगा है. अधिकारियों ने बताया कि धान खरीद पूरी होने के बाद सीएमआर नीति के तहत फिजिकल वेरीफिकेशन जरूरी है. डीएफएससी से जहां स्टॉक रखा पाया गया है वहां का मिल लेआउट की डिटेल्स भी मांगी गई हैं. इससे पहले अधिकारियों ने मिल के अंदर बिहार से आए परमल धान के दो ट्रक जब्त किए थे. जांच के बाद वहां करीब 3000 क्विंटल धान का अतिरिक्त स्टॉक भी मिला. मिल मालिक स्टॉक के लिए जरूरी दस्तावेज नहीं दिखा सका. इसके अलावा धान की बोरियों पर टैग नहीं लगे थे, जो सीएमआर नीति का उल्लंघन है.
जानकारों का कहना है कि हरियाणा में कस्टम मिल्ड राइस यानी सीएमआर नीति के तहत मिलर्स को 2300 रुपये और 2320 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी पर परमल धान आवंटित की जाती है. इसे कस्टम मिल्ड राइस यानी अन्य धान किस्मों के साथ मिलाकर प्रॉसेस करने के बाद चावल बनाकर 67 फीसदी सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है. आरोप है कि कुछ मिलर्स बिहार और यूपी से सस्ता धान खरीदकर उसे महंगी धान किस्म परमल में मिलाकर ऊंचे दाम में बेचने के लिए सीएमआर व्यवस्था का गलत फायदा उठा रहे हैं. अब यह घोटालेबाजी प्रशासन की नजर में आ गई है और इसी वजह से मिलों में बिहार और यूपी का धान बरामद किया जा रहा है.
अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) यश जालुका ने कहा कि कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) नीति के तहत धान के आवंटन में गड़बड़ियों की पहचान करने के लिए अन्य मिलों का फिजिकल वेरीफिकेशन चल रहा है. इसके लिए टीमों का गठन किया गया है. जांच में गेट पास जारी करने और धान के आवंटन में भारी गड़बड़ी सामने आ रही है.
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