महाराष्ट्र के प्याज बेल्ट नासिक में इन दिनों किरण मोरे का नाम चर्चा में है. असल मे किरण मोरे ने प्याज उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर, खासतौर पर मिल रहे कम दाम के खिलाफ 'कांदा रथ यात्रा' निकाली है. जिसकी वजह से वह अचानक चर्चा में आ गए हैं. यह यात्रा मजबूरी में किसानों के सड़क पर उतरने का एक मार्मिक वर्णन है. एक गाड़ी पर विशाल प्याज लगा हुआ है. समस्याओं को बयान करता पोस्टर और सरकार पर चुटकी लेता है कार्टून है. लोग जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर यह किरण मोरे हैं कौन, जिनकी अगुवाई में अनोखे तरीके से यह यात्रा निकाली जा रही है. कौन है जो किसानों की समस्याओं को नए तरह से सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.
'किसान तक' ने किरण मोरे से ही उनका ब्यौरा लिया तो कई चौंकाने वाले बातें सामने आईं हैं. किरण एक किसान हैं लेकिन उनके हाथों में कार्टून बनाने का हुनर भी है. जब भी सरकार प्याज किसानों के विरोध में कोई फैसला लेती तब मोरे कार्टून के माध्यम से उसकी आलोचना करते हैं. उनके कार्टून महाराष्ट्र के किसानों के सोशल मीडिया ग्रुप्स में वायरल होती है. प्याज की निर्यात बंदी के बाद भी उन्होंने कार्टून बनाए थे. आमतौर पर वो किसानों की आवाज उठाने के लिए कार्टून को माध्यम बनाते हैं, लेकिन पहली बार उन्होंने यात्रा निकाली है.
मोरे ने आर्ट में डिप्लोमा किया हुआ है. वो इसी कला के जरिए किसानों की आवाज उठाते हैं. वह प्याज उत्पादक किसान है और 45 साल की उम्र में अब किसानों के अधिकारों के लिए सड़क पर उतर पड़े हैं. मोरे ने बताया कि उन्हें किसानों के अलावा दूसरे संगठन भी सहयोग करते हैं. वो सिर्फ किसानों के लिए लड़ते हैं. 'कांदा रथ यात्रा' सिर्फ जागृति के लिए निकाली है, इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.
अब तक नासिक के 25 गांवों में यात्रा निकाल चुके हैं. मोरे ने कहा कि यात्रा अब आचार संहिता तक चलेगी. अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है. सही दाम नहीं दिलाती है तो हम दिल्ली भी जाएंगे. मोर ने बताया कि उनके एक दोस्त ने अपनी जेब से पैसा खर्च करके इस यात्रा की शुरुआत करवाई थी, जिसका किसानों की ओर से भरपूर समर्थन मिल रहा है. किसान खुद बोलते हैं कि ये यात्रा बंद नहीं होनी चाहिए, प्याज किसानों का दर्द सरकार तक पहुंचना चाहिए. क्योंकि वह पीड़ित हैं. यह यात्रा इसलिए शुरू की गई है क्योंकि सरकार प्याज किसानों की मांग नहीं सुन रही.
प्याज किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम चाहिए. जैसे ही दाम बढ़ता है तब सरकार उसको अपनी पॉलिसी से घटा देती है. यही हाल रहा है तो किसान प्याज की खेती छोड़ देंगे. उसके बाद उपभोक्ताओं के लिए काफी मुश्किल होगी. इसलिए अच्छा यह है कि सरकार प्याज किसानों की पीड़ा समझे और उनको सही दाम दिलाने की व्यवस्था करे.
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