कच्चे चावल के भाव में तेजी देखी जा रही है. आने वाले समय में यह तेजी और भी प्रबल हो सकती है क्योंकि चावल की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है. दूसरी ओर, अल-नीनो और सूखे के डर से कई देशों में चावल का स्टॉक जमा किया जा रहा है. इससे बाजार में एक कृत्रिम कमी पैदा हो रही है जो भाव बढ़ाने में बड़ा रोल निभा रही है. पूरे एशिया की बात करें तो यहां के लगभग सभी देशों में कीमतें आसमान छू रही हैं. इन देशों में चावल सबसे प्रमुख खाद्य सामग्री है. इसलिए भाव में तेजी से खाद्य सामानों की महंगाई पहले से बढ़ गई है.
एशिया के कई देशों में इस बार अल-नीनो का खतरा बताया जा रहा है. भारत में भी मौसम विभाग ने मॉनसून के बीच अल-नीनो का प्रभाव देखे जाने की आशंका जताई है. कुछ ऐसी ही आशंका इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस भी जताई जा रही है. इन देशों में चावल का अधिक उत्पादन होता है. लेकिन अल-नीनो का असर देखा गया तो उत्पादन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. इस डर से निकलने के लिए इन देशों ने चालव का स्टॉक जुटाना शुरू कर दिया है. अगर अपना उत्पादन न हो तो दूसरे देशों से चावल खरीदकर स्टॉक जमा किया जा रहा है. इस वजह से भाव में लगातार तेजी बनी हुई है.
बल्क लॉजिक्स कंपनी के डायरेक्टर वीआर विद्यासागर ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि फिलीपींस आसपास के जितने भी आइलैंड वाले देश हैं, वहां से चावल की बड़ी मांग निकल रही है. मलेशिया मार्केट में भी जमकर खरीदारी देखी जा रही है. वियतनाम से भी थोक में इंक्वायरी आ रही है. वियतनाम में इस महीने के अंत से नई उपज मिलने लगेगी. उससे पहले ही खरीदारों ने बिक्री बढ़ाने की मांग शुरू कर दी है.
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विद्यासागर कहते हैं, इंडोनेशिया, फिलीपींस और मलेशिया जैसे देश चावल का स्टॉक जमा कर रहे हैं. इन देशों की प्लानिंग है कि अल-नीनो के खतरे में चावल की सप्लाई किसी भी तरह से बाधित न हो. ये देश 2007-08 की तरह चावल की कमी से बिल्कुल जूझना नहीं चाहते, इसलिए अभी से पूरी तैयारी शुरू कर दी है. 2007-08 में इन देशों में चावल की घोर कमी देखी गई थी और इससे दाम में भारी उछाल आया था. इससे बचने के लिए देशों ने एडवांस में अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
2007-08 में भारत ने चावल का निर्यात बंद कर दिया था. इससे वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें 1,000 डॉलर पर पहुंच गई थीं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के मुताबिक, चावल के भाव बढ़ने से इसका गंभीर संकट पैदा हो गया था जिससे गरीब सबसे अधिक प्रभावित हुए थे. इस बार भी कुछ वैसा ही खतरा बढ़ता दिख रहा है. लेकिन भारत ने इसके निर्यात पर रोक नहीं लगाई है. नई दिल्ली के एक एक्सपोर्टर राजेश फारिया कहते हैं कि सरकार अगर समर्थन जारी रखे तो पिछले साल की तरह इस साल भी चावल का निर्यात चलता रहेगा.
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बाकी देशों की तरह भारत में भी चावल के दाम में बड़ा उछाल देखा जा रहा है. एक साल में कीमतों में 27 फीसद की तेजी है जबकि थाइलैंड में यह तेजी 11 परसेंट और वियतनाम में 16 परसेंट है. उत्पादन में कमी केवल चावल की ही नहीं है बल्कि मक्के और सोयाबीन में भी भारी गिरावट है. एफएओ के मुताबिक, अल-नीनो के असर में दुनिया में मक्का और सोयाबीन की पैदावार भी तेजी से घट सकती है.
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