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और महंगे हो सकते हैं खाद्य पदार्थ, देश में गेहूं का भंडार 7 साल के निचले स्तर पर पहुंचा, जानें कितना बचा है अनाज

और महंगे हो सकते हैं खाद्य पदार्थ, देश में गेहूं का भंडार 7 साल के निचले स्तर पर पहुंचा, जानें कितना बचा है अनाज

गेहूं और चावल का कुल स्टॉक स्तर 680 लाख था, जो बफर स्टॉक 214.1 लाख टन से तीन गुना अधिक है. खास बात यह है कि गेहूं के स्टॉक में कमी ऐसे समय में आई है, जब खुदरा अनाज की कीमतें दिसंबर में 9.93 प्रतिशत महंगी हो गईं.

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देश में बढ़ सकती है महंगाई. (सांकेतिक फोटो) देश में बढ़ सकती है महंगाई. (सांकेतिक फोटो)

आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ सकती है. क्योंकि सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार सात साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों के पास 1 जनवरी को 163.5 लाख टन गेहूं का स्टॉक था, जो 2017 के 137.5 लाख टन के बाद से सबसे कम है. हालांकि, मौजूदा स्टॉक कैलेंडर वर्ष की शुरुआत के लिए 138 लाख टन के न्यूनतम बफर से अधिक है. इसके अलावा, देश में चावल का भंडार, 516.5 लाख टन (बिना पिसे धान से प्राप्त अनाज सहित) है, जो 1 जनवरी के मानक न्यूनतम बफर 76.1 लाख टन से कहीं अधिक है.

इसी तरह 1 जनवरी को गेहूं और चावल का कुल स्टॉक स्तर 680 लाख था, जो बफर स्टॉक 214.1 लाख टन से तीन गुना अधिक है. खास बात यह है कि गेहूं के स्टॉक में कमी ऐसे समय में आई है, जब खुदरा अनाज की कीमतें दिसंबर में 9.93 प्रतिशत महंगी हो गईं. वहीं, केंद्र सरकार अनाज की बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए गेहूं और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने सहित कई उपाय कर रही है. सरकार ने थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं को 1,000 टन से अधिक गेहूं रखने और खुले बाजार में एफसीआई के स्टॉक से अनाज बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया.

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इतने हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई

विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपाय खाद्य महंगाई को रोकने में अस्थायी राहत ला सकते हैं. इस बार, किसानों ने 336.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई की है, जो पिछले साल के 335.67 लाख हेक्टेयर और सामान्य पांच साल के औसत 307.32 लाख हेक्टेयर से अधिक है. ऐसे में सभी की निगाहें पंजाब पर जा कर टिक गई हैं. क्योंकि इस बार पंजाब में किसानों ने गेहूं की बंपर बुवाई की है. साथ ही अनुकूल मौसम की वजह से अच्छी उपज की उम्मीद भी की जा रही है. ऐसे में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की निगाहें पर पंजाब पर टिकी हुई हैं. अंतरराष्ट्रीय खाद्य एजेंसियां भी यहां गेहूं उत्पादन की निगरानी कर रही हैं.

गेहूं के लिए शीतलहर है फायदेमंद

कल खबर सामने आई थी कि कोहरे के साथ हाड़ कंपा देने वाली ठंड से भले ही उत्तरी और पूर्वी भारत में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, लेकिन इससे गेहूं की फसल को काफी फायदा हो रहा है. खास बात यह है कि अभी तक गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश से 'पीला रतुआ' रोग की कोई रिपोर्ट नहीं आई है. ऐसे में उन्मीद की जा रही है कि इस साल गेहूं की बंपर पैदावार होगी. भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा है कि पिछले तीन हफ्तों में, न्यूनतम और अधिकतम दोनों तापमान लगातार सामान्य से नीचे गिर रहे हैं, जिससे गर्म सर्दियों की शुरुआत से प्रभावित गेहूं की फसलें फिर से जीवंत हो गई हैं.

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