इस साल लंबे समय तक सर्दी पड़ने की वजह से गेहूं की पसल को पकने में औसत से ज्यादा दिन लगे. इससे फसल कटाई में 10 से 15 दिन की देरी भी हुई, जिसकी सीधा असर गेहूं खरीदी पर पड़ा है. हाल के सप्ताहों में खरीद की गति बढ़ने के बावजूद, घाटा लगभग एक पखवाड़े पहले 25 फीसदी से घटकर 6 मई तक 3 फीसदी हो गया. सोमवार तक, सरकार 2024-25 रबी सीजन में लगभग 23.8 मिलियन टन गेहूं खरीद सकती है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह 24.5 मिलियन टन था.
न्यूज वेबसाइट मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, रबी सीजन अक्टूबर से मार्च तक चलता है और खरीद अप्रैल से मई तक होती है. हालांकि, इस बार केंद्र ने राज्यों को बाजार में फसल की आवक के आधार पर खरीद की अनुमति देने का फैसला किया. अधिकांश राज्यों में गेहूं की आवक मार्च के पहले पखवाड़े में शुरू हो जाती है. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने इस सीजन में लगभग 37 मिलियन टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, खाद्य और सार्वजनिक वितरण सचिव संजीव चोपड़ा इसे 31 मिलियन टन मानते हैं, जबकि उन्हें उम्मीद थी कि सरकार इस लक्ष्य को पूरा करेगी. उन्होंने कहा कि सबसे खराब स्थिति को देखते हुए, गेहूं की खरीद 26 मिलियन टन हो सकती है, जो हमने पिछली बार की थी.
ये भी पढ़ें- Torai Farming: तोरई की खेती से मोटी कमाई कर रहे लखनऊ के रामलाल, जानिए 3 महीने की इनकम
1 अप्रैल के 7.46 मिलियन टन के बफर मानक के मुकाबले वर्तमान में लगभग 19.9 मिलियन टन गेहूं केंद्रीय पूल में उपलब्ध है. 2023-24 रबी सीजन में सरकार ने 34.15 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 26.2 मिलियन टन गेहूं की खरीद की. पिछले सीज़न में, इसने 44.4 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 18.8 मिलियन टन की खरीद की थी. यदि इस वर्ष लक्ष्य चूक गया तो यह लगातार तीसरे वर्ष होगा.
चोपड़ा ने मिंट को बताया कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश हुई. इससे गेहूं में नमी की मात्रा अधिक हो गई. इसलिए, किसानों को सलाह दी गई कि वे फसल को पकने दें और उसकी कटाई न करें. मौसम में सुधार होने पर इसकी कटाई करें. चोपड़ा ने कहा कि इन राज्यों में कटाई में 10-15 दिनों की देरी होती है. एमपी (मध्य प्रदेश), राजस्थान और बिहार जैसे कुछ राज्यों में निजी व्यापारियों द्वारा उच्च कीमत की पेशकश एक और कारण है. हम किसानों को बेहतर कीमत मिलने से नाराज नहीं हैं. खुले बाजार में लाभकारी मूल्य मिलना किसानों के लिए अच्छा है.
ये भी पढ़ें- Weather News: राजस्थान और मध्य प्रदेश में चलेगी लू, बिहार-यूपी समेत पहाड़ों में होगी बारिश, पढ़ें मौसम अपडेट्स
कृषि एक्सपर्ट जीके सूद ने कहा कि इस वर्ष एफसीआई के पास गेहूं का स्टॉक बफर स्तर तक गिरने से आपूर्ति पक्ष पर कोई असर नहीं पड़ा है, क्योंकि फरवरी के बाद ओएमएसएस (खुली बाजार बिक्री योजना) वितरण की आवश्यकता नहीं थी. इसके अलावा, स्टॉक इतना कम नहीं है कि कल्याण के तहत वितरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े. महत्वपूर्ण यह है कि क्या खरीदी गई मात्रा आगे चलकर एफसीआई स्टॉक की मांग को पूरा करेगी. इस वर्ष की फसल लगभग 5 मिलियन टन अधिक है, खरीद पिछले वर्ष के समान स्तर पर है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today