मिलेट्स की कीमतों में महंगाई ने ग्राहकों की परेशानी बढ़ा दी है. फरवरी के बाद बाजरा की मंहगाई में 17 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. यह बढ़ोत्तरी खाद्य मंहगाई दर को और ऊपर ले जा सकती है, जो पहले ही 8 फीसदी के पार चल रही है. मिलेट्स फूड या उसके प्रोडक्ट की हाई डिमांड और इस्तेमाल पर सरकारी प्रोत्साहन, सोशल मीडिया ट्रेंड और उत्पादन में मामूली गिरावट के चलते बाजरा की कीमतों में बढ़ोत्तरी आई है.
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चलता है कि बीते माह मार्च में रागी और रागी उत्पादों की महंगाई बढ़कर 16.6 फीसदी हो गई, जो छह वर्षों में दूसरी बार सबसे अधिक है. इससे पहले फरवरी 2024 में महंगाई दर सबसे ज्यादा 16.7 फीसदी थी. रिपोर्ट्स में इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि बाजरा के लिए उत्पादन स्थिर रहा है, लेकिन फूड इंडस्ट्री ने जमकर अपने स्नैक्स और मिठाई प्रोडक्ट में उपयोग किया है, जिसके चलते बढ़ी डिमांड ने कीमतों को ऊपर पहुंचा दिया है.
सरकार भी मिलेट्स प्रोडक्ट के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. हालांकि, रागी का रकबा 2023-24 में 1.04 मिलियन हेक्टेयर रह गया है, जो 2022-23 में 1.16 मिलियन हेक्टेयर था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसके चलते रागी का उत्पादन 2022-23 में 1.69 मिलियन टन से घटकर 2023-24 में लगभग 1.39 मिलियन टन रह गया है. ऐसे में रागी की महंगाई दर पिछले सात महीनों से दोहरे अंकों में बढ़ रही है और जनवरी 2024 के बाद से इसमें और तेजी आई है.
इसी तरह ज्वार की महंगाई दर भी तेजी से बढ़ रही है. फरवरी में ज्वार की महंगाई दर 12.7 फीसदी थी, जिसमें मार्च महीने में मामूली गिरावट के साथ 10 फीसदी दर्ज की गई है. हालांकि, दिसंबर 2022 से ज्वार में दोहरे अंक की महंगाई दर देखी जा रही है. ज्वार के लिए खेती के रकबे और उत्पादन दोनों में मामूली बढ़त हुई है. 2023-24 में उत्पादन पिछले वर्ष के 3.81 मिलियन टन के मुकाबले 4.03 मिलियन टन था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रकबा 3.54 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 3.65 मिलियन हेक्टेयर दर्ज किया गया है.
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