सरकार देश में गेहूं की महंगाई कम करने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम यानी कि OMSS चला रही है. इस स्कीम में सरकार फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के जरिये खुले बाजार में सस्ते रेट पर गेहूं और चावल बेच रही है. एफसीआई हर हफ्ते गेहूं और चावल की नीलामी करती है और व्यापारी इसे खरीदते हैं. सरकार ने कहा है कि नीलामी के छठे राउंड में गेहूं का 97 फीसद हिस्सा बिक गया. नीलामी के लिए एफसीआई ने 1.09 लाख टन गेहूं निर्धारित किया गया था. हालांकि इसमें एक बड़ी बात ये है कि पिछली नीलामी से इस नीलामी में सरकार ने गेहूं के दाम में 26 रुपये प्रति क्विंटल तक रेट बढ़ा दिए. गेहूं की मांग को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया.
सरकारी गेहूं की बिक्री का सबसे अधिक रेट बंगाल और महाराष्ट्र में दर्ज किया गया. यहां गेहूं की प्रति क्विंटल कीमत 2500 रुपये रही. मध्य प्रदेश में 2430 रुपये, गुजरात में 2410 रुपये, झारखंड में 2405 रुपये, ओडिशा में 2400 रुपये और उत्तराखंड में 2350 रुपये कीमत रही. इसी कीमत पर व्यापारियों ने एफसीआई से गेहूं की खरीद की.
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सरकार ने गेहूं और चावल की बिक्री इसलिए शुरू की है ताकि आम लोगों को सस्ते में अनाज मिल सके. ओएमएसएस के तहत एफसीआई सस्ते में खुले बाजार में गेहूं और चावल की नीलामी कर रही है. हाल के दिनों में गेहूं, आटा और चावल की महंगाई बढ़ी है. इसी महंगाई को कम करने के लिए सरकार खुले बाजार में अनाजों की नीलामी कर रही है. चावल का सरकारी भाव 31 रुपये चल रहा है. चावल के बढ़ते रेट को देखते हुए सरकार ने अभी हाल में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी. इससे पहले सरकार ने दो और बड़े फैसले लिए हैं. चावल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के साथ ही टुकड़ा चावल के निर्यात पर भी रोक लगाई गई थी.
गेहूं और चावल की मंहगाई के बीच एक खबर ये भी है कि सरकारी स्टॉक में अनाज की जितनी मात्रा होनी चाहिए, उतनी नहीं है. एक आंकड़े के मुताबिक, एक जुलाई को स्टॉक में 559.37 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का भंडार है जो बफर स्टॉक के 411.20 लाख मीट्रिक टन से अधिक तो है, लेकिन पिछले छह साल में यह सबसे कम है. गेहूं के भंडार की बहुत अच्छी स्थिति नहीं बताई जा रही है. धान की फसल पर अल नीनो का असर पड़ने की आशंका है. सरकारी स्टॉक की स्थिति से मार्केट में गेहूं और धान के दाम में उतार-चढ़ाव होता है. इसलिए इस साल दाम बढ़ रहे हैं जिसे आगे भी बढ़ने की पूरी गुंजाइश है.
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