भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के डायरेक्टर डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा है संस्थान इस बार रिकार्ड तोड़ गेहूं उत्पादन के लिए तैयार है. इस साल 25 हजार किसानों को गेंहू की नई किस्मों के बीज उपलब्ध करवाया जाएगा. इनकी खरीद के लिए किसानों को संस्थान के पोर्टल पर ऑनलाइन अप्लाई करना होगा. इसके लिए संस्थान का पोर्टल 15 सितंबर तक खुलेगा. इसका मतलब अब आवेदन के लिए सिर्फ दो दिन का ही वक्त बाकी है. हालांकि यह भी कहा गया है कि पोर्टल तब तक खुला रहेगा, जब तक संस्थान के पास गेहूं का नई किस्में उपलब्ध रहेंगी.
किसी भी फसल की उपज और गुणवत्ता के लिए उसके बीज की किस्म बहुत जिम्मेदार होती है. नई किस्मों में पैदावार ज्यादा होती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक बीजों के चयन पर काफी जोर देते हैं. फिलहाल, संस्थान ने कहा है कि बीज उन किसानों को ही उपलब्ध कराया जाएगा, जो पोर्टल पर अप्लाई करेंगे. इसका मतलब यह है कि पहले अप्लाई करने वाले किसानों को बीज जरूर उपलब्ध करवाया जाएगा.
किसानों के लिए गेहूं की डीबी डब्ल्यू 370, डीबी डब्ल्यू 371, डीबी डब्ल्यू 372 और डीबी डब्ल्यू 327, ये चार प्रमुख किस्में उपलब्ध रहेंगी. यह किस्में उतरी पश्चिमी मैदान क्षेत्रों के लिए हैं. एक और प्रजाति गठिया गेहूं की है, जिसका नाम डीबी डब्ल्यू 55 है. जो मध्य भारत के लिए है. डीबी डब्ल्यू 327 का प्रसार भी मध्य भारत के लिए किया गया है. संस्थान द्वारा हीट टॉलरेंट किस्म भी विकसित की गई है. गेहूं में पोषक तत्व बढ़ाने और रोग रोधिता बढ़ाने के लिए भी प्रयास किया गया है. नई किस्मों का रिस्क मिनिमम रहता है.
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डायरेक्टर डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि जो किसान बीज के लिए संस्थान के सीड पोर्टल अप्लाई करेंगे उन्हें यकीकन बीज मिलेगा. काफी किसान पोर्टल पर अप्लाई नहीं करते, जिसके चलते उन्हें बीज उपलब्ध नहीं हो पाता. संस्थान चाहकर भी उनको बीज नहीं दे पाता, क्योंकि जितना बीज संस्थान के पास होता है, वही किसानों को मिल पाता है.
ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि गेहूं के बंपर पैदावार वाले राज्य हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश हैं. इन जगहों के किसान संस्थान से बीज लेते हैं. जो इन राज्यों से दूर वाले किसान हैं उनकी व्यवस्था संस्थान करना चाहता है. लेकिन संस्थान को कोई ऐसी एजेंसी नहीं मिल पाई है, जो पोर्टल पर अप्लाई किए हुए किसानों को बीज पहुंचा दे, जो महंगा न हो. संस्थान इसके लिए प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि नई प्रजातियों का बीज प्रति किसान 5 किलो ग्राम तथा वे प्रजातियां जिनका बीज संस्थान के पास ज्यादा उपलब्ध हैं वो 10 किलोग्राम के हिसाब से दी जाएंगी.
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