खारे जमीन में भी कर सकते हैं गेहूं की खेतीऊसर और क्षारीय जमीन में खेती एक बड़ी समस्या है. ऐसी जमीन में मेहनत और संसाधन खर्च करने के बावजूद बहुत अच्छे रिजल्ट नहीं मिलते. बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर होती है, वहां ऊसर जमीन खेती-किसानी में बड़ी बाधा है. इसे लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) किसानों को समय-समय पर सुझाव देता रहता है. एक ताजा सुझाव में विशेषज्ञों ने बताया कि ऊसर और कल्लर (Salty) जमीनों पर खेती के लिए केआरएल 210 और 213 गेहूं की किस्में सबसे उपयुक्त हैं.
इन किस्मों को विशेष रूप से उन जमीनों के लिए विकसित किया गया है, जहां सोडियम की मात्रा अधिक होती है और पानी की क्वालिटी खराब होती है. विशेषज्ञों ने कहा, "केआरएल 210 और 213 किस्में ऊसर जमीनों पर अधिक उपज देती हैं और कम पानी की जरूरत होती है. तीन से चार बार सिंचाई से भी किसान अच्छी फसल हासिल कर सकते हैं."
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के अनुसार, KRL-210 एक बहुत सफल, नमक सहने वाली गेहूं की किस्म है जिसे ICAR-CSSRI, करनाल ने सोडीक (क्षारीय) मिट्टी के लिए विकसित किया है. यह किसानों को जलभराव और खारे हालात में भी ज्यादा पैदावार और मजबूती देती है, जहां दूसरी किस्में फेल हो जाती हैं. इससे लागत कम होती है और संसाधनों को बचाकर और बीज बेचकर खेती की आमदनी में तेजी लाई जा सकती है. इस तकनीक से किसानों की कमाई बेहतर होती है.
विशेषज्ञों ने जैविक फॉर्मूलेशन के उपयोग की भी जानकारी दी. ये जैविक दवाएं कम खर्च में और मिट्टी को बिना नुकसान पहुंचाएं अच्छी पैदावार दे सकती हैं. ये जैविक फॉर्मूलेशन मिट्टी की क्वालिटी सुधारने में मदद करते हैं. विशेषज्ञों ने बताया, "तरल जैविक फॉर्मूलेशन में ऐसे जीवाणु होते हैं जो नाइट्रोजन को हवा से फिक्स करते हैं और फास्फोरस को घुलनशील बनाते हैं. ये फॉर्मूलेशन ऊसर और नमकीन (जिसमें salt की मात्रा अधिक हो) मिट्टी में भी प्रभावी हैं."
विशेषज्ञों ने किसानों को उपज बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि जैविक खाद जैसे गोबर की खाद और केंचुए की खाद का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होता है. इसके अलावा, तरल जैविक फॉर्मूलेशन को गोबर में मिलाकर खेत में छिड़कने से उपज में सुधार होता है. उन्होंने कहा, "अगर जिप्सम उपलब्ध नहीं है, तो जैविक फॉर्मूलेशन का उपयोग करके किसान अपनी उपज को बेहतर बना सकते हैं."
विशेषज्ञों ने किसानों से अपील की है कि वे इन नई तकनीकों और किस्मों का उपयोग करें. उन्होंने कहा, ऊसर और कल्लर जमीनों पर खेती के लिए ये किस्में और जैविक फॉर्मूलेशन बहुत उपयोगी हैं. इनका सही उपयोग करके किसान अपनी उपज को बढ़ा सकते हैं और अपनी जमीन की क्वालिटी में सुधार कर सकते हैं."
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