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हर‍ियाणा में गेहूं की पराली जलाने पर लगी रोक, कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों पर भी होगी सख्ती

हर‍ियाणा में गेहूं की पराली जलाने पर लगी रोक, कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों पर भी होगी सख्ती

आमतौर पर धान की पराली जलाने पर रोक लगती रही है लेक‍िन अब गेहूं का अवशेष जलाने पर भी प्रत‍िबंध लगा द‍िया गया है. इसके ल‍िए कानून का हवाला द‍िया गया है. गेहूं की कटाई करने वाली कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगवाने को कहा गया है. इससे प्रदूषण नहीं फैलेगा और सूखे चारे का संकट भी नहीं होगा. 

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गेहूं की पराली जलाने पर लगा प्रतिबंध. गेहूं की पराली जलाने पर लगा प्रतिबंध.

हर‍ियाणा के फतेहाबाद ज‍िले में गेहूं की कटाई के संबंध में प्रशासन ने एक बड़ा फैसला ल‍िया है. इसके तहत गेहूं की पराली को जलाने पर रोक लगा दी गई है. पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के मकसद से फतेहाबाद के जिलाधीश राहुल नरवाल ने भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में म‍िली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए तुरंत प्रभाव से गेहूं की फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगा द‍िया है. आमतौर पर धान की पराली जलाने पर रोक लगती थी लेक‍िन इस बार प्रशासन ने गेहूं की पराली पर भी रोक लगा दी है ताक‍ि प्रदूषण न फैले. 

इसके अतिरिक्त सभी कंबाइन हारवेस्टर मशीन के मालिकों को आदेश दिए गए हैं कि वे गेहूं की फसल की कटाई के दौरान अपनी कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएसएमएस) लगवाना सुनिश्चित करें. बिना एसएसएमएस कंबाइन हारवेस्टर मशीनों द्वारा गेहूं की फसल काटने पर पूरी तरह से रोक रहेगी. ये आदेश फसल रबी सीजन 2024 समाप्त होने तक प्रभावी रहेंगे. दरअसल, कंबाइन की वजह से ही पराली की समस्या खड़ी हुई है. जब तक हाथ से गेहूं की कटाई होती थी, पराली जलने की समस्या नहीं थी. लेक‍िन अब इस मशीन की वजह से न स‍िर्फ पराली जलाने बल्क‍ि सूखे चारे का भी संकट सामने आने लगा है. 

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गैर कानूनी है पराली जलाना

जिलाधीश नरवाल ने बताया कि रबी की फसल के दौरान किसानों द्वारा गेहूं की फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग लगा दी जाती है, जो कि वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 तथा भारतीय दंड संहिता का उल्लंघन है. इन अवशेषों के जलाने से होने वाले प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य, संपत्ति की हानि, तनाव, क्रोध तथा जीवन को बाहरी खतरे की संभावना रहती है. जबकि इन अवशेषों से पशुओं के लिए तूड़ा बनाया जा सकता है. 

पराली जलाने वालों को चेतावनी

दरअसल, गेहूं की पराली जलाने से स‍िर्फ वायु प्रदूषण ही नहीं फैलता है बल्क‍ि इससे सूखे चारे का भी संकट खड़ा होता है. यही बात नरवाल भी कर रहे हैं. उनका कहना है क‍ि गेहूं की पराली जलाने से चारे की भी कमी हो जाती है. ऐसे में इस आदेश की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 188, संगठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंड का भागी होगा. इसल‍िए क‍िसानों से अपील की जा रही है क‍ि वो पराली न जलाएं वरना सरकार उन पर केस कर सकती है. 

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