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गेहूं खरीद पर न‍िजी क्षेत्र की द‍िलचस्पी ने बढ़ाई सरकार की च‍िंता, क्या सेंट्रल पूल में कम हो जाएगा पंजाब का योगदान

गेहूं खरीद पर न‍िजी क्षेत्र की द‍िलचस्पी ने बढ़ाई सरकार की च‍िंता, क्या सेंट्रल पूल में कम हो जाएगा पंजाब का योगदान

सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के ल‍िए एफसीआई द्वारा खरीदे जाने वाले गेहूं में सबसे ज्यादा योगदान पंजाब का रहता आया है. लेक‍िन इस साल अब तक पंजाब में सरकारी खरीद काफी सुस्त है. वहीं दूसरी ओर, न‍िजी क्षेत्र इस बार पंजाब से अपनी खरीद डबल से भी अध‍िक करना चाहता है. ऐसे में क्या इस साल भी केंद्र सरकार गेहूं खरीद के लक्ष्य से पीछे रह जाएगी? 

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गेहूं के सरकारी भंडार में सबसे ज्यादा योगदान देता है पंजाब. गेहूं के सरकारी भंडार में सबसे ज्यादा योगदान देता है पंजाब.

गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद के बीच पंजाब से केंद्र सरकार की च‍िंता बढ़ाने वाली खबर आई है. गेहूं की सरकारी खरीद में आमतौर पर सबसे आगे रहने वाला पंजाब इस साल इस मामले में काफी पीछे चल रहा है. जबक‍ि बफर स्टॉक में पंजाब ही सबसे ज्यादा योगदान देता है. आध‍िकार‍िक तौर पर गेहूं की खरीद प्रक्रिया एक अप्रैल से शुरू कर दी गई है लेक‍िन देखने में यह आ रहा है क‍ि वहां की मंड‍ियां सूनी पड़ी हुई हैं. ऐसा माना जा रहा है क‍ि पंजाब में न‍िजी क्षेत्र ज्यादा से ज्यादा गेहूं खरीदने की कोश‍िश कर रहा है. द ट्र‍िब्यून से बातचीत में पंजाब रोलर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश घई ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा है क‍ि हम इस साल अपने स्टॉक को बढ़ाने के ल‍िए मंडियों से अधिक गेहूं खरीदेंगे. हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार 3 प्रतिशत बाजार शुल्क कम करके इसे अन्य राज्यों में लगाए जाने वाले टैक्स के बराबर लाएगी.  

दूसरी ओर, राजपुरा में एक कमीशन एजेंट ने कहा कि बड़ी फूड प्रोसेस‍िंग यून‍िटों ने कपूरथला, अमृतसर और बठिंडा सह‍ित कई जिलों में एजेंटों से संपर्क किया था और उनसे बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदने के लिए कहा था. किसानों को निजी कंपनियों से एमएसपी यानी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल से 25-30 रुपये अध‍िक दाम मिल सकता है. न‍िजी क्षेत्र कहीं बहुत अध‍िक खरीद करने की इच्छा रखता है लेक‍िन पंजाब में ज्यादा टैक्स की वजह से वो ऐसा नहीं करते. टैक्स को लेकर न‍िजी क्षेत्र को गेहूं की कीमत 2,400 रुपये प्रति क्विंटल पड़ेगी. इसल‍िए न‍िजी क्षेत्र के ख‍िलाड़ी चाहते हैं क‍ि पंजाब सरकार ग्रामीण विकास निधि और 3 प्रतिशत बाजार शुल्क को कम कर दे.  

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न‍िजी क्षेत्र क्यों खरीद पर दे रहा है जोर 

ओपन मार्केट सेल स्कीम यानी ओएमएसएस के तहत केंद्र सरकार देश भर में र‍ियायती दर पर व्यापार‍ियों और सहकारी एजेंस‍ियों को लगभग 80 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं बेच चुकी है. ज‍िसका आरक्षित मूल्य 2300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. यही कारण है कि जब केंद्र द्वारा स्टॉक की ओएमएसएस नीलामी की जाती है, तो आटा मिल मालिक स्टॉक खरीदते हैं, या पड़ोसी राज्यों से जहां टैक्स कम होता है वहां से खरीद करते हैं. 

निजी क्षेत्र के ख‍िलाड़‍ियों को ऐसा लगता है क‍ि अब केंद्र के पास गेहूं का स्टॉक कम होने के कारण ओएमएसएस के माध्यम से नीलाम किया जाने वाला गेहूं का स्टॉक उनकी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. इसल‍िए वो मंड‍ियों से गेहूं की खरीद कर रहे हैं. इससे पंजाब में गेहूं की सरकारी खरीद घट सकती है. केंद्र के पास मार्च तक सेंट्रल पूल में गेहूं का स्टॉक घटकर स‍िर्फ 9.7 मिलियन टन रह गया है. प‍िछले दो साल से सरकार गेहूं खरीद का अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रही है.

पंजाब में सरकारी खरीद सबसे ज्यादा

देश में गेहूं की सबसे ज्यादा सरकारी खरीद पंजाब में होती है. निजी क्षेत्र बहुत कम खरीद करता है. लेक‍िन इस साल हालात बदले हुए हैं. वर्षों से ऐसा र‍िकॉर्ड रहा है क‍ि मंडियों से गेहूं की निजी खरीद न्यूनतम है और 95 प्रतिशत से अधिक स्टॉक सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदा जाता है. लेकिन इस साल, केंद्र का खाद्यान्न स्टॉक न्यूनतम बफर स्टॉक सीमा के करीब पहुंच गया है और ऐसी आशंका है कि ओएमएसएस के माध्यम से नीलाम किया जाने वाला स्टॉक निजी व्यापारियों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. 

रबी मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 में पंजाब में सरकारी एजेंस‍ियों ने 121 लाख मीट्र‍िक टन से अध‍िक गेहूं की खरीद की थी. जबक‍ि 4.50 लाख मीट्र‍िक टन न‍िजी क्षेत्र ने खरीदा था. पंजाब के खाद्य एवं आपूर्ति सचिव विकास गर्ग ने कहा है कि इस साल न‍िजी क्षेत्र की खरीद 10 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है. उन्होंने कहा, "हमारी फील्ड रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी खाद्य कंपनियों ने कई मंडियों में कमीशन एजेंटों से संपर्क किया है और उनसे उनकी ओर से बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदने के लिए कहा है. 

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