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अप्रैल से जून तक आम किसानों को करना होगा इन दवाओं का छिड़काव, सूखेगा नहीं फल और बढ़ जाएगी उपज

अप्रैल से जून तक आम किसानों को करना होगा इन दवाओं का छिड़काव, सूखेगा नहीं फल और बढ़ जाएगी उपज

आम किसानों को इस सीजन अपने बागानों की अच्छी देखभाल करनी होगी, क्योंकि तेज अंधड़ से उपज को नुकसान होने का खतरा है. जबकि, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में थ्रिप्स कीट और सेमीलूपर कीटों का संकट भी रहेगा.

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आम फसल में थ्रिप्स कीट और सेमीलूपर कीटों का प्रकोप बढ़ने का संकट है. आम फसल में थ्रिप्स कीट और सेमीलूपर कीटों का प्रकोप बढ़ने का संकट है.

अल नीनो के प्रभाव के चलते इस बार भीषण गर्मी और तापमान अधिक रहने की भविष्यवाणी भारतीय मौसम विभाग ने की है. आईएमडी के अनुसार अप्रैल से जून तक तापमान अधिक रहेगा और करीब 30 दिन तेज गर्म हवाएं चलेंगी. ऐसे में आम किसानों के लिए अपने बागानों की देखभाल करना ज्यादा अहम हो गया है. क्योंकि, तेज अंधड़ से उपज को नुकसान होने का खतरा है तो थ्रिप्स कीट और सेमीलूपर कीटों का प्रकोप बढ़ने का संकट भी रहेगा. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में आम फसल की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को अप्रैल से जून तक सही मात्रा में 4 दवाओं का छिड़काव करना होगा. 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय बागवानी संस्थान ने इस सीजन आम की पैदावार में लगभग 14 फीसदी की बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाया है. एक्सपर्ट का कहना है कि इस सीजन आम उत्पादन बीते सीजन की तुलना में 30 लाख टन बढ़कर 240 लाख टन होने की उम्मीद है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस बार अनुकूल मौसम के चलते आम में फूल आने की प्रक्रिया लगभग पूरी होने को है और परागण सामान्य स्थिति में होने से फल लगने शुरू हो गए हैं. इस सीजन आम की फसल की संभावनाएं अच्छी हैं. 

अंधड़ में आम को टूटने से बचाने के लिए क्या करें?

भारत प्रमुख आम उत्पादक देश है, जो विश्व के उत्पादन में लगभग 42 प्रतिशत का योगदान देता है. भारत में दक्षिण राज्यों के साथ ही महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में आम की बंपर पैदावार होती है. अल नीनो के प्रभाव के चलते इस सीजन मौसम में अधिक गर्मी को देखते हुए आम किसानों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है. अंधड़ में फलों को टूटकर गिरने से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करके मिट्टी में नमी लानी होगी. इससे फलों का गिरना कम हो जाता है. 

यूपी समेत कई इलाकों में कीटों के प्रकोप का खतरा  

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय बागवानी संस्थान के अनुसार उत्तरी मैदानी इलाकों यानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब के आम किसानों को आक्रामक कीटों के हमलों से फसल को बचाने की जरूरत होगी. खासतौर पर थ्रिप्स कीट से किसानों को सावधान रहना होगा. आम के कई बागों में थ्रिप्स की आबादी कई गुना बढ़ गई है. थ्रिप्स कीट भोजन की तलाश में बागानों में फलों के पुष्प भागों में बैठते हैं. इन कीटों से फसल को बचाने के लिए किसानों के कीटनाशक का छिड़काव करना होगा. 

आम को रोग और कीटों से बचाने के लिए इन दवाओं का करें छिड़काव 

  • कीट से फसल बचाने के लिए लगभग 4 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) दवा को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. 
  • इसके अलावा आम किसान थियामेथॉक्सम (Thiamethoxam) 0.4 ग्राम दवा को प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव कर सकते हैं.
  • जिन पेड़ों में बौर हो और छोटे फल निकले हों, उन पेड़ों की पत्तियां कोमल होती हैं. ऐसे पेड़ों में छिड़काव के लिए लैम्बडासाइहेलोथ्रिन (Lambda cyhalothrin) 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना चाहिए. 
  • सेमीलूपर कीटों से फसल बचाने के लिए भी लैम्बडासाइहेलोथ्रिन (Lambda cyhalothrin) 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए
  • पाउडरी मिल्ड्यू रोग (Powdery Mildew Disease) से पेड़ को बचाने के लिए हेक्साकोनजोल (Hexaconazole) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.

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