पश्चिम बंगाल में आलू के व्यापारियों की हड़ताल जारी है जिससे राज्य में इसकी कीमतों में इजाफा होने की पूरी आशंका है. लेकिन राज्य की सरकार ने कीमतें नियंत्रित रखने और दाम में कमी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला किया है. राज्य सरकार का फैसला है कि वह किसानों से सीधे आलू की खरीद करेगी. सोमवार को उसने 750 टन आलू की खरीद के साथ ही पहला कदम उठा लिया है. सरकार ने हूगली में किसानों ने सीधे आलू खरीदा और फिर उसे कोलकाता की बाजार में पहुंचाया.
सरकार का मकसद ऐसा करके किसी भी तरह के स्टॉक संकट को दूर करना है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हड़ताली व्यापारियों से निपटने और बिचौलियों के असर पर अंकुश लगाने के मकसद से राज्य ने स्वयं सहायता समूहों (एसएलजी) को आर्थिक मदद देने का भी फैसला किया है ताकि वो आखिरी छोर तक व्यापार कर सकें. किसानों ने आलू बेचने के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखा है, लेकिन उन्हें फसल को बाजार तक भेजने के लिए व्यापारियों पर निर्भर रहना पड़ता है.
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जूनियर एग्रीकल्चर मार्केटिंग और पंचायत मंत्री बेचाराम मन्ना के हवाले से अखबार ने लिखा है कि सरकार ने कोल्ड स्टोरेज से 15,000 बैग खरीदे. इनमें से हर बैग में 50 किलोग्राम आलू था, और उन्हें कोलकाता के बाजारों में भेजा. सप्लाई लाइन सूखने से बचाने के लिए भविष्य में भी इसी तरह का एक्शन लिया जाएगा. मन्ना ने यह भी संकेत दिया कि राज्य स्वयं सहायता समूहों को कोल्ड स्टोरेज से सीधे आलू खरीदने के लिए बॉन्ड खरीदने में आर्थिक मदद करेगा. हालांकि मन्ना ने इस बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन सूत्रों की मानें तो राज्य के इस कदम का उद्देश्य व्यापारियों की पकड़ को कम करना है.
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इस बीच, आलू की अंतरराज्यीय आवाजाही पर सरकार के प्रतिबंध के विरोध में आलू व्यापारियों की हड़ताल सोमवार को भी जारी रही. प्रोग्रेसिव पोटैटो ट्रेडर्स के सचिव सुकुमार सामंत ने कहा कि वो प्रशासन को यह समझाने में असफल रहे हैं कि पड़ोसी राज्यों को जो आलू भेजा जाता है उसे बंगाल के लोग नहीं खाते. उनका कहना था कि आलू पर अंतरराज्यीय प्रतिबंध की वजह से बड़ी मात्रा में आलू सड़ने के लिए छोड़ दिया जाएगा.
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