औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली फल, कई बीमारि‍यों का रामबाण इलाज, खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान

औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली फल, कई बीमारि‍यों का रामबाण इलाज, खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान

यूं तो उत्‍तराखंड ऊंचे पहाड़ों और धार्मिक स्‍थलों और तीर्थों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां पहाड़ों पर कई औषधियां भी पाई जाती हैं. आज हम आपको यहां के एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं और सेहत के लिहाज से इसका फल बहुत अच्छा होता है.

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औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली फल, कई बीमारि‍यों का है रामबाण इलाजघिंघारू फल (फाइल फोटो)

वैसे तो उत्तराखंड की पहाड़ियों में कई प्रकार की औषधियां मिलती हैं, लेकिन आज हम आपको यहां के एक ऐसे फल के बारे में बताने जा रहें है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है. यही नहीं, इसका पौधा भी हर तरह से औषधि के रूप में इस्‍तेमाल किया जाता है. स्‍थानीय लोग इस फल को 'घिंघारू' कहते हैं. इलाके में यह फल सड़क किनारे भी देखने को मिल जाता है. यह एक पहाड़ी जंगली फल है, जो अल्मोड़ा और अन्य पहाड़ी इलाकों में ऊंचाई में पाया जाता है.

पौधा पूरी तरह है उपयोगी

घिंघारू के फल, फूल, पत्तियां और टहनियों का कई तरीकों से औषधि के रूप में इस्‍तेमाल किया जाता है. कहा जाता है कि घिंघारू का फल कई गुणों का भंडार है. इसका सेवन करने से कई बीमारियां दूर होती हैं. यह फल 400 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले स्‍थानों पर जून से लेकर सितंबर तक अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ के वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है. घिंघारू फल, टमाटर या सेब की तरह दिखाई देता है. इसका आकार बहुत छोटा होता है, जो खाने में हल्का खट्टा, कसैले और मीठा होता है. मध्यम आकार वाले इस पौधे की शाखाएं कांटेदार और पत्तों का रंग गहरा होता है. 

कई नामों से प्रसिद्ध है घिंंघारू

स्‍थानीय लोग बताते हैं कि घिंघारू बहुत ही स्वादिष्ट होता है. मुख्य तौर पर हार्ट और पाचन से जुड़ी समस्‍याओं के लिए घिंघारू इस्तेमाल किया जाता है. इस पहाड़ी फल को कई नामों से जाना जाता है. कुमाऊंनी बोली में इसे घिंगारू कहा जाता है, जबकि‍ गढ़वाली में इसे घिंघरू कहते हैं. वहीं, नेपाली में इस फल को घंगारू नाम से जाना जाता है. इसके अलावा इस पहाड़ी फल को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहा जाता है. इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है. 

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इन बीमार‍ियों में देता है राहत

घिंघारू में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. यह हार्ट डिसी, ब्‍लड प्रेशर, खूनी दस्त, इम्‍यूनिटी बढ़ाने के लिए अच्‍छा माना जाता है. खूनी दस्त होने पर घिंघारू के फल का पाउडर दही के साथ खाने से आराम मिलता है. इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर मौजूद होती है, जो तत्काल ऊर्जा देती है. इसकी टहनी से लोग दातून करते हैं, जिससे दांत के दर्द से निजात मिल सकती है. घिंघारू के फल और पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्‍फ्लेमेट्री गुण मौजूद हैं. 

आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ जीएस कोटिया ने बताया कि घिंघारू में मौजूद बायोफ्लोनोइड्स हृदय में रक्त संचार को संतुलित करता है. यह रक्त वाहिकाओं को नष्ट होने से भी बचाता है. इसके अलावा यह ब्रेन में ब्‍लड फ्लो को सुचारू करने में सक्षम है, जिससे याद्दाश्त बढ़ती है. औषधीय फल घिंघारू प्रोटीन का अच्छा सोर्स है.(संजय सिंह की रिपोर्ट) 

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