देश के कई हिस्सों में खराब मौसम देखा जा रहा है. हाल के दिनों में कई राज्यों में बेमौसमी बारिश हुई है. उत्तर भारत और मध्य भारत के कई हिस्से इसकी चपेट में आए हैं. बारिश के साथ ओलावृष्टि भी दर्ज की गई है. इससे कई फसलें चौपट हुई हैं. वैज्ञानिक बताते हैं कि अल नीनो के प्रभाव से इस तरह के मौसमी बदलाव देखे जा रहे हैं. इससे रबी फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इसमें फल और सब्जियों की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं.
इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च यानी कि ICAR के डिप्टी डायरेक्टर जनरल संजय कुमार सिंह ने कहा कि यह बेमौसमी बारिश सब्जियों और फल की फसलों के लिए चिंता का विषय है. सिंह कहते हैं कि एक तरफ देश के दक्षिणी हिस्से में तापमान में बढ़ोतरी हो रही है तो उत्तरी हिस्से में अब भी ठंड की स्थिति बनी हुई है. इससे कई बागवानी फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इन फसलों में आम, काजू, नींबू और खुबानी शामिल हैं.
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संजय कुमार सिंह कहते हैं कि तापमान में अचानक बढ़ोतरी से कीटों और रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है. बारिश और तापमान में वृद्धि से फसलों पर थ्रिप्स और हॉपर का आक्रमण देखा जा रहा है. कई फसलों में रोग लगने के अलावा फूलों के गिरने की समस्या भी देखी जा रही है. अभी का मौसम ऐसा है जो फसलों पर कीटों के प्रकोप को बढ़ावा दे रहा है. इसका बेहद बुरा असर फसलों की पैदावार पर पड़ेगा.
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उधर दक्षिण भारत के राज्यों में एक अलग तरह की समस्या देखने को मिल रही है. यहां तापमान में अचानक वृद्धि से आम के फूल आने में देरी देखी जा रही है. दक्षिण भारत के कई इलाकों में आम पर फंफूद जनित बीमारी पाउडर मिल्ड्यू और थ्रिप्स का अटैक देखा जा रहा है. 'बिजनेसलाइन' से संजय सिंह ने कहा कि कीट और रोगों की वजह से फसलों पर 10-15 परसेंट तक असर देखा जाएगा.
दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में तापमान में तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है. नमी में भी पहले से तेजी है. इसका प्रभाव काजू के पौधों पर देखा जा रहा है. काजू पर टी मॉसक्यूटो बग का प्रकोप देखा जा रहा है. उत्तर भारत में अब भी ठंड का सीजन चल रहा है. सेब के पौधों के लिए यह मौसम तो ठीक है, लेकिन खुबानी और अन्य फसलों के लिए यह सही मौसम नहीं है. इससे फूल झड़ने की संभावना अधिक है.
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