खरीफनामा: अपने खास औषधीय गुणों की वजह से हल्दी की खास पहचान है.इसमें खास एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इस वजह से देश के अंदर दूध में पीसी हल्दी मिलाकर पीने का प्रचलन है. तो वहीं हल्दी आम लोगों के भोजन का भी अभिन्न हिस्सा है.इसी तरह हल्दी का प्रयोग सभी शुभ कार्यों में भी किया जाता है. इन्हीं सब कारणों से हल्दी की डिमांड हमेशा बनी रहती है. दुनिया के कुल उत्पादन में अकेले भारत हल्दी का 80 प्रतिशत उत्पादन करता है. भारत दुनिया में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक है. दुनिया की कुल खपत की 60 फीसदी हल्दी भारत से निर्यात की जाती है. किसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में हल्दी से जुड़ी पूरी जानकारी...
किसान तक से बातचीत में कृषि विज्ञान केन्द्र हमीरपुर के सब्जी विज्ञान विशेषज्ञ और प्रमुख डॉ मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि हल्दी की खेती का सबसे सही समय खरीफ सीजन है. जिसके तहत किसान मई से 15 जून तक हल्दी की बुआई कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि हल्दी की खेती की उपज काफी हद तक किसानों की तरफ से लगाए गए बीजों की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है. हल्दी के अच्छे बीज सरकारी संस्थानों में बहुत सस्ते दाम पर उपलब्ध हैं.
किसान तक से बातचीत में डॉ मुस्तफा ने बताया कि एक एकड़ में हल्दी की खेती के लिए करीब लगभग 6 क्विंटल बीज की जरूरत होती है. हल्दी की खेती में केवल बीजों पर ही करीब 15 से 25 हजार रुपये तक का खर्च आता है. वहीं, इसकी बुवाई से लेकर सिंचाई, खाद और अन्य खर्च पर करीब 20 हजार रुपये खर्च होते हैं. यानी एक एकड़ में हल्दी की खेती में करीब 50 हजार रुपये का खर्च आता है .
किसान तक से बातचीत में डॉ मुस्तफा ने बताया कि हल्दी की खेती के लिए जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसे बाग या ऐसी छायादार जगहों पर बोया जाता है. उन्हाेंने बताया कि हल्दी की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अप्रैल से 15 जून तक है. इसकी बुआई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 30-40 सेमी और पौध से पौध की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए, जबकि 4-5 सेमी गहराई में बुआई करनी चाहिए. हल्दी बुआई के लिए 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज की जरूरत पड़ती है. मिश्रित फसलों के लिए प्रति एकड़ 4-6 क्विंटल बीज पर्याप्त होता है. अगर हल्दी की बुआई के लिए 7-8 सेंमी लम्बा कंद चुनें, जिसमें कम से कम दो आंखें हों.
सब्जी विशेषज्ञ ने हल्दी किस्मों की जानकारी देते हुए बताया कि हल्दी की किस्म आरएच-5 के पकने में लगभग 210 से 220 दिन का समय लगता है. इस किस्म से प्रति एकड़ 200 से 220 क्विंटल हल्दी प्राप्त की जा सकती है. वहीं किस्म राजेंद्र सोनिया को तैयार होने में 195 से 210 दिन तक का समय लगता है. इस किस्म से प्रति एकड़ लगभग 160 से 180 क्विंटल उपज मिल सकती है. इसी तरह हल्दी की किस्म पालम पीताम्बर से 132 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज प्राप्त की जा सकती है. हल्दी की किस्म सोनिया तैयार होने मे 230 दिन का समय लेती है. इस किस्म से 110 से 115 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त किया जा सकता है. इसके अलावा सगुना, रोमा, कोयम्बटूर, कृष्णा, आर, एनडीआर-18, बीएसआर-1, पंत पीतांबर आदि किस्में हैं.
किसान तक से बातचीत में सब्जी विशेषज्ञ डॉ मुस्तफा ने कहा कि हल्दी बुआई से पहले कंदों का शोधन जरूरी है. हल्दी बुआई से पहले बीजों का उपचार करें. इसके लिए प्रति लीटर पानी में 2.5 ग्राम मैंकोजेब और क्विनालफॉस डालें. इससे 30 मिनट तक हल्दी का बीज उपचारित करें. उन्हें छाया में सूखाकर बुआई करें.
ये भी पढ़ें- Kharif Special: बरसात के सीजन में करें सब्जियों की खेती, इसके लिए ऐसे तैयार करें नर्सरी
हल्दी में बुआई के तुरंत बाद मल्चिंग बेहद जरूरी है. इसके लिए सस्ते साधन में पुआल का इस्तेमाल किया जा सकता है. पहली सिंचाई 70 दिनों बाद करें, जबकि दूसरी सिंचाई 4 माह यानी लगभग 120 दिनों बाद करें.
किसान तक से बातचीत में डॉ मुस्तफा ने कहा कि हल्दी की बुआई से पहले प्रति एकड़ खेत में 8 टन कंपोस्ट, नीम की खली 8 क्विंटल, नाइट्रोजन 60 किलो, फॉस्फोरस 35 किलो,और पोटाश 35 किलो मिलाना चाहिए. पोटाश और फास्फोरस की आधी मात्रा बुआई से पहले और नाइट्रोजन की आधी मात्रा और बचा हुआ पोटाश पौधों की 60 दिन बढ़वार की अवस्था में देना चाहिए. बुवाई के 90 दिन बाद शेष नाइट्रोजन की मात्रा देनी चाहिए.
किसान तक से बातचीत में डॉ मुस्तफा ने कह कि बागों में हल्दी की खेती की जा सकती है. किसान मेड़ बनाकर हल्दी की बुआई कर सकते हैं. इन्हीं मेड़ों के जरिए हल्की सिंचाई करें.दरअसल छायादार जगह पर इसकी खेती सफल होने के कारण, आम या अमरूद के बगानों में इंटरक्रॉप के तौर पर हल्दी की खेती कर सकते हैं. किसान इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती से किसानों के बागों को भी सपोर्ट मिलेगा. इस तरह किसान मुख्य खेतों में हल्दी की सफल खेती कर बंपर उपज पा सकते हैं. इसके साथ ही इंटरक्रॉप के रूप में आम, अमरूद की फलत के अलावा हल्दी से अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं.
हल्दी आमतौर पर जनवरी से मार्च-अप्रैल तक खोदी जाती है. अगेती किस्में 7-8 महीनों में पक जाती हैं और मध्यम किस्में 8-9 महीनों में पक जाती हैं. एक एकड़ से 60 -80 क्विंटल कच्ची हल्दी प्राप्त की जा सकती है. सूखने के बाद एक चौथाई हल्दी बच जाती है. यानी 60 क्विंटल हल्दी प्राप्त करने से सूखने के बाद 15 क्विंटल हल्दी रह जाती है. किसान 80 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव से हल्दी बेच सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today