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कौड़ियों के भाव बिक रही किसान की हल्दी, उधर सट्टेबाजी कर बंपर मुनाफा कमा रहे कारोबारी

कौड़ियों के भाव बिक रही किसान की हल्दी, उधर सट्टेबाजी कर बंपर मुनाफा कमा रहे कारोबारी

एक तरफ महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के किसान हल्दी की लागत निकालने के लिए तरस रहे हैं, तो दूसरी ओर कारोबारी सट्टेबाजी कर बाजारों में हल्दी के भाव बढ़ा रहे हैं. अफवाह के चलते बाजार में हजार रुपये प्रति क्विंटल तक हल्दी महंगी हो गई है. दूसरी ओर किसान की हल्दी कौड़ियों के भाव बिक रही है.

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किसानों को हल्दी का सही भाव नहीं मिल रहा है किसानों को हल्दी का सही भाव नहीं मिल रहा है

हल्दी किसानों के सामने गजब की स्थिति है. एक तरफ कच्ची हल्दी का दाम गिर रहा है जिससे किसानों में मायूसी है, तो दूसरी ओर बाजार में हल्दी के रेट में बढ़ोतरी देखी जा रही है. किसानों का कहना है कि उनकी हल्दी सस्ते में बिक रही है जबकि व्यापारी उसी हल्दी को बेचकर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. पिछले एक महीने में हल्दी का दाम 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गया है. हालांकि बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह तेजी बहुत दिनों तक नहीं रहेगी क्योंकि भाव में वृद्धि पूरी तरह से 'स्पेकुलेटिव' (सट्टेबाजी) है. यानी हल्दी के दाम को लेकर उठी अफवाह की वजह से भाव में तेजी देखी जा रही है. यह अफवाह इसलिए है क्योंकि हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में बारिश हुई है जिससे फसल को भारी नुकसान हुआ है.

फसल नुकसान होने से माना जा रहा है कि आगे हल्दी की सप्लाई में कुछ बाधा आ सकती है. यही वजह है अनुमानों के आधार पर हल्दी का भाव अभी बढ़ा हुआ है. महाराष्ट्र में बारिश के बाद हल्दी की फफल को नुकसान हुआ है जिसके बाद व्यापारियों में सप्लाई को लेकर भ्रम की स्थिति बनी है. निजामाबाद के एक व्यापारी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि महाराष्ट्र में बारिश होने से मंडियों में हल्दी की आवक कम हुई है. वायदा कारोबारियों ने इस बारिश का लाभ उठाया और अनुमानों के आधार पर बाजारों में हल्दी का दाम बढ़ा दिए.

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किसानों को नहीं मिल रहा सही भाव

दूसरी ओर, महाराष्ट्र से लेकर आंध्र प्रदेश तक के किसान बारिश से परेशान हैं क्योंकि कच्ची हल्दी का भाव गिर गया है. किसानों का कहना है कि वे लागत का खर्च निकालने के लिए भी मजबूर हैं. दाम में उतार-चढ़ाव, बेमौसम बारिश और मार्केटिंग की खराब व्यवस्था के चलते हल्दी का सही भाव नहीं मिल पा रहा है. आंध्र प्रदेश के कई इलाकों में हल्दी की खेती बहुत कम लागत में हो जाती है. इसके बावजूद किसान उपज की लागत नहीं निकाल पा रहे हैं. 

बारिश से हल्दी की फसल चौपट

आंध्र प्रदेश के मण्यम जिले में सर्कुमिन से भरपूर हल्दी उगाई जाती है जो देश-दुनिया में मशहूर है. इस वेरायटी की मांग सबसे अधिक कोरोनाकाल में देखी गई क्योंकि इसे इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है. आंध्र के इस जिले में रोमा, प्रगति, प्रतिभा जैसी हल्दी की वेरायटी भी उगाई जाती है. लेकिन इस बार बारिश ने सभी किस्मों को प्रभावित किया है और उत्पादन गिरा है. इससे किसान लागत निकाल पाने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं.

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यही हाल महाराष्ट्र में भी देखा जा रहा है जहां बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती होती है. किसानों का कहना है कि जिस वक्त हल्दी निकलने का समय होता है, उसी समय बेमौसम बारिश हो गई जिससे हल्दी खेत में ही सड़ने लगी. हल्दी कच्ची फसल है, इसलिए उसे अधिक दिनों तक स्टोर नहीं कर सकते. यह भी एक वजह है जिससे किसान जल्दी में कम कीमत पर भी अपनी उपज व्यापारियों के बेच रहे हैं. दूसरी ओर, बाजारों में अनुमानों के आधार पर हल्दी पाउडर की कीमत बढ़ाई जा रही है जिसका फायदा किसानों को न मिलकर व्यापारियों को मिल रहा है.

सट्टेबाजी बढ़ा रहे हल्दी का रेट

अनुमान के आधार पर हल्दी पाउडर का दाम इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि वायदा कारोबारियों में एक सोच ये है कि अगले सीजन में किसान हल्दी की खेती कम करेंगे. इस साल फसल नुकसान होने और कम दाम मिलने से अगले साल हल्दी की खेती घटने की आशंका जताई जा रही है. यही वजह है कि वायदा बाजारों में हल्दी के रेट हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़े हुए हैं. हालांकि विशेषज्ञ खेती कम होने की आशंका को नकार रहे हैं. एक विशेषज्ञ ने कहा कि इस साल नांदेड़ में हल्दी किसानों को प्रति क्विंटल 7,000 रुपये मिल रहे हैं जो कि अच्छा भाव है. इसलिए अगले साल भी किसान कमाई के अनुमान में हल्दी की खेती करेंगे.