scorecardresearch
मौसमी मार से घटी तुर-उड़द दाल की पैदावार, कीमतें कम रखने के लिए सरकार ने उठाया ये कदम

मौसमी मार से घटी तुर-उड़द दाल की पैदावार, कीमतें कम रखने के लिए सरकार ने उठाया ये कदम

भारत सरकार की कोशिश है कि तुर और उड़द दाल का आयात सुचारू रखा जाए ताकि देश में इन दोनों दालों की कोई कमी न हो और दाम में बड़ी तेजी न देखी जाए. यही वजह है कि सरकार ने तुर और उड़द दाल के आयात को 2024 तक मंजूरी दी है. दालों के आयात की मंजूरी तब दी गई जब देश में खराब मौसम की वजह से उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

advertisement
देश में तुर और उड़द दाल के दाम में तेजी देखी जा रही है देश में तुर और उड़द दाल के दाम में तेजी देखी जा रही है

देश में तुर दाल की कीमतें बढ़ रही हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सप्लाई में कमी देखी जा रही है. एक तरफ सप्लाई में कमी और दूसरी ओर मांग में तेजी, इन दोनों फैक्टर ने तुर दाल के दाम बढ़ा दिए हैं. दूसरी ओर, जिन देशों में तुर दाल की अधिक उपज होती है, वहां के निर्यातकों ने इसकी जमाखोरी बढ़ा दी है. इन सभी कारणों से देश में तुर दाल का दाम बढ़ा हुआ है. यही हाल उड़द दाल के साथ भी देखा जा रहा है. ये दोनों दाल अभी सरकार के लिए चिंता की वजह बनी हुई हैं. भारत में म्यांमार से तुर दाल की खेप मंगाई जाती है. लेकिन वहां इस दाल की जमाखोरी देखी जा रही है. इससे भारत में इस दाल की कीमतें अभी तेज बनी हुई हैं.

जमाखोरी के खिलाफ भारत ने पड़ोसी देशों को निर्यातकों को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि अभी सरकार के स्तर पर तुल-उड़द दाल का आयात करने पर विचार किया जा रहा है. ऐसे में जमाखोरी कर बाजार में दाल की कृत्रिम कमी नहीं बनाई जानी चाहिए. इससे देशों के बीच व्यापारिक हितों का नुकसान हो सकता है. ऐसी खबरें हैं कि म्यांमार, भारत में दालों की कमी का बेजां फायदा उठाना चाहता है और दालों की कीमतें बढ़ाना चाह रहा है. इसके बाद भारत ने म्यांमार के निर्यातकों को कड़ी चेतावनी जारी की है.

क्या कहा सरकार ने?

इस खबर की तस्दीक करते हुए उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार ने कहा कि म्यांमार के निर्यातकों को चेतावनी दी गई है. इसमें कहा गया है कि अगर तुर और उड़द दाल की जमाखोरी कर दाम बढ़ाए गए तो सरकार G2G स्तर पर दालों की खरीदारी करेगी. यहां जीटूजी का अर्थ सरकारी स्तर पर खरीदारी से है. यानी भारत सरकार म्यांमार के प्राइवेट व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाएगी और सरकारी स्तर पर दालों की खरीद करेगी. हालांकि म्यांमार ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भारत को आश्वस्त किया है कि दालों की किसी प्रकार की जमाखोरी नहीं की जा रही और इसकी सप्लाई दुरुस्त रखी जाएगी.

ये भी पढ़ें: Jeera Price: कैसे लगेगा दाल में तड़का! जीरे की कीमतें छू रहीं आसमान, 6 महीने में 90% बढ़े दाम

तुर-उड़द दाल की कमी

भारत सरकार की कोशिश है कि तुर और उड़द दाल का आयात सुचारू रखा जाए ताकि देश में इन दोनों दालों की कोई कमी न हो और दाम में बड़ी तेजी न देखी जाए. यही वजह है कि सरकार ने तुर और उड़द दाल के आयात को 2024 तक मंजूरी दी है. दालों के आयात की मंजूरी तब दी गई जब देश में खराब मौसम की वजह से उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है. 

ये भी पढ़ें: दालों के बढ़ते दाम को रोकने की कवायद तेज, कालाबाजारी करने वालों पर सख्त एक्शन के आदेश 

हाल के दिनों में जब से दालों के दाम में तेजी आई है, तब से सरकार ने आयातकों को निर्देश दिया है कि वे समय-समय पर स्टॉक की जानकारी देते रहें. इससे जमाखोरी पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. देश में भी इस बात का डर है कि प्राइवेट व्यापारी दालों की जमाखोरी कर दाम बढ़ा सकते हैं जिसके खिलाफ सरकार समय-समय पर निर्देश जारी करती रही है.