Moong Variety: मूंग की इन टॉप 5 किस्मों की खेती कर पाएं ज्यादा उपज, जानें विशेषताएं

Moong Variety: मूंग की इन टॉप 5 किस्मों की खेती कर पाएं ज्यादा उपज, जानें विशेषताएं

मूंग की खेती भारत में खरीफ और जायद दोनों सीजन में अलग-अलग समय पर की जाती है. वहीं, मूंग की कई ऐसी उन्नत किस्में हैं जिनकी खेती कर किसान ज्यादा से ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं. ऐसे में आइए मूंग की उन्नत किस्मों के बारे में जानते हैं-

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Moong Variety: मूंग की इन टॉप 5 किस्मों की खेती कर पाएं ज्यादा उपज, जानें विशेषताएं मूंग की उन्नत किस्में, सांकेतिक तस्वीर

दलहनी फसलों में मूंग एक महत्वपूर्ण फसल है. वहीं, मूंग की खेती भारत के कुछ राज्यों में प्रमुख रूप से की जाती है, जिनमें से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं. मूंग की खेती भारत में खरीफ और जायद दोनों सीजन में अलग-अलग समय पर की जाती है. खरीफ सीजन में जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बुवाई होती है, जबकि जायद सीजन में मार्च के प्रथम सप्ताह से अप्रैल तक बुवाई होती है. वहीं, अगर मूंग की उन्नत किसानों की बात करें तो कई ऐसी किस्में हैं जिनकी खेती कर किसान ज्यादा से ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं.

ऐसे में आइए आज हम आपको मूंग की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में बताते हैं, जिनकी खेती कर आप अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं- 

मूंग की उन्नत किस्में और उपज 

पूसा वैसाखी: मूंग की यह उन्नत किस्म लगभग 60-70 दिन में पककर तैयार हो जाती है. वहीं, लगभग 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाता है.

मोहिनी: मूंग की यह उन्नत किस्म लगभग 70-75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. वहीं, लगभग 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाता है. इसके अलावा इसमें पीला मोजैक वायरस नहीं लगता है जोकि मूंग की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है.

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पंत मूंग 1: मूंग की यह उन्नत किस्म लगभग 75 दिन (खरीफ) तथा 65 (जायद) दिन, में पककर तैयार हो जाती है. वहीं, लगभग 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाता है.

कृष्ण 11: मूंग की यह अगेती किस्म लगभग 65-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जबकि उपज क्षमता लगभग 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

पंत मूंग 3: मूंग की यह उन्नत किस्म लगभग 60-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. वहीं, ग्रीष्मकालीन खेती के लिए यह किस्म उपयुक्त है. इसके अलावा इसमें पीला मोजैक वायरस तथा पाउडरी मिल्ड्यू रोग नहीं लगते हैं.

जवाहर मूंग-3: मूंग की यह उन्नत किस्म ग्रीष्म व खरीफ दोनों सीजन के लिए उपयुक्त है. वहीं, इस किस्म की फलियां गुच्छों में लगती हैं. इसके एक फली में लगभग 8-11 दाने होते हैं, जबकि 100 दानों का वजन 3.4-4.4 ग्राम होता है. इसके अलावा इस किस्म में पीला मोजेक और पाउडरी मिल्ड्यू रोग नहीं लगते हैं.

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के - 851: मूंग की इस उन्नत किस्म की खेती ग्रीष्म और खरीफ दोनों सीजन में की जा सकती है. इसके पौधे मध्यम आकार के (60-65 सेमी.) होते हैं. इसके एक पौधे में लगभग 50-60 फलियां लगती हैं. वहीं, एक फली में 10-12 दाने होते हैं. दाना चमकीले, हरे और बड़े होते हैं.

 

 

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