आयात बाधाओं के चलते तूर यानी अरहर दाल की कीमतों में लगातार उछाल देखा जा रहा है. बीते 1 महीने में दाल की कीमतों में 7 फीसदी की महंगाई देखने को मिली है, जिसके बाद कीमत 145 रुपये के पार पहुंच गई है. जबकि, अन्य दालों की कीमतों पर भी दबाव बना हुआ है, जिसके चलते दाल महंगाई दर 22 फीसदी के करीब पहुंच गई है. ट्रेडर्स ने फरवरी के बाद तूर दाल की कीमत में नरमी आने का अनुमान जताया है.
अफ्रीकी देश मोजांबिक से दाल आयात बाधित होने और म्यांमार से तूर आयात में देरी ने तूर दाल की कीमतों को ऊपर चढ़ा दिया है. पिछले एक महीने में तुअर दाल की थोक कीमतों में करीब 7 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. उद्योग संगठन भारतीय दलहन और अनाज संघ (आईपीजीए) के अनुसार दाल में प्रॉसेसिंग के लिए दाल मिलों की ओर से तुअर की बढ़ती खरीद के कारण तूर की कीमतें लगातार 4 सप्ताह से बढ़ी हुई हैं. थोक कीमतें 120 रुपये की बजाय 145 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गई हैं.
बुवाई रकबा 5.10 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.80 लाख हेक्टेयर हो गया है. इसकी बड़ी वजह पिछले सीजन में किसानों को कीमत सही नहीं मिलन रहा है. ऐसे में सरकार को दाल आयात करनी पड़ रही है. तूर की खुदरा कीमतें जो 2023 में 200 रुपये प्रति किलो के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं, पीली मटर के आयात को खोले जाने और स्टॉक सीमा पर सरकारी निगरानी को कड़ा करने के लिए सब्सिडी वाली भारत चना दाल की बिक्री जैसे मूल्य नियंत्रण उपायों के कारण दिसंबर में 5-10 फीसदी तक नरमी दर्ज की गई थी.
भारत तूर दाल की अपनी घरेलू आवश्यकता को म्यांमार और अफ्रीका से आयात के साथ पूरा करता रहा है. हालांकि, उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अफ्रीका से आपूर्ति को वहां की स्थानीय सरकार की ओर से बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. जबकि, म्यांमार से आपूर्ति उम्मीद से कम हो रही है. इस वजह से बाजार में उपलब्धता कम हो रही है, जो कीमतों को ऊपर ले जा रही है. हालांकि, ट्रेडर्स ने फरवरी के बाद आयात बाधा दूर होने पर दाल की कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है.
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