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टमाटर की जड़ के आसपास बालू मिलाने का फायदा जान लीजिए, तेजी से बढ़ते हैं पौधे

टमाटर की जड़ के आसपास बालू मिलाने का फायदा जान लीजिए, तेजी से बढ़ते हैं पौधे

टमाटर आमतौर पर सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है. लेकिन थोड़ी अम्लीय से लेकर दोमट मिट्टी विशेष रूप से उपयुक्त होती है. मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक होना और जल निकास की उचित व्यवस्था होना बहुत आवश्यक है. ऐसे में टमाटर की खेती कर रहे टमाटर किसानों के लिए ये टिप्स बहुत खास है कि अगर आप भी पौधों की ग्रोथ अच्छी चाहते हैं तो टमाटर की जड़ के आसपास बालू मिलाना चाहिए. वो क्यों आइए जानते हैं.

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टमाटर की खेती में बालू का उपयोग टमाटर की खेती में बालू का उपयोग

भारत में टमाटर का इस्तेमाल लगभग आलू और प्याज के जितना ही है. खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए लोग टमाटर का इस्तेमाल करते हैं. जिस वजह से इसकी खपत समय के साथ बढ़ती जा रही है. आपको बता दें टमाटर की खेती आमतौर पर साल में दो बार की जाती है. एक जुलाई-अगस्त से शुरू होकर फरवरी-मार्च तक चलता है और दूसरा नवंबर-दिसंबर से शुरू होकर जून-जुलाई तक चलता है. टमाटर की खेती में सबसे पहले बीजों से नर्सरी तैयार की जाती है, लगभग एक महीने के अंदर नर्सरी के पौधे खेतों में लगाने लायक हो जाते हैं. वहीं, एक हेक्टेयर खेत में करीब 15,000 पौधे लगाए जा सकते हैं. पौधे खेतों में लगाने के लगभग 2-3 महीने बाद फल देना शुरू कर देते हैं. जबकि टमाटर की फसल 9-10 महीने तक चलती है. ऐसे में टमाटर की खेती कर रहे टमाटर किसानों के लिए ये टिप्स बहुत खास है कि अगर आप भी पौधों की ग्रोथ अच्छी चाहते हैं तो टमाटर की जड़ के आसपास बालू मिलाना चाहिए. वो क्यों आइए जानते हैं.

टमाटर के लिए सही तापमान

कड़ाके की सर्दी और पाले के कारण टमाटर का फलन बाधित हो जाता है. इसके लिए औसत तापमान 18-27 डिग्री सेल्सियस है. है. पौधे के बढ़ने के साथ टमाटर की गुणवत्ता कम हो जाती है. टमाटर की गुणवत्ता उनके रंग और आकार से आंकी जाती है, ये दोनों ही जलवायु से प्रभावित होते हैं. 10 डिग्री सेंटीग्रेड 30 डिग्री सेल्सियस से नीचे और 30 डिग्री सेल्सियस पर टमाटर में लाल और पीला रंग बनना बंद हो जाता है. इसके ऊपर लाल रंग का उत्पादन भी कम हो जाता है. लेकिन 40 डिग्री के पार लाल रंग बनना बिल्कुल बंद हो जाता है. गर्म और शुष्क हवा के कारण टमाटर के फूल झड़ जाते हैं.

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जड़ के आसपास बालू मिलाने के फायदे

पंक्ति की चौड़ाई 80 से 90 सें.मी. और ऊंचाई 30-40 सें.मी. रखते हैं, और दो बेड के बीच लगभग 40-50 सें.मी. जगह छोड़ते हैं. पौधे की जड़ के आसपास हवा मिलती रहे इसके लिए कुछ खास उपाय करने होते हैं. इसमें सबसे जरूरी है मिट्टी में थोड़ा बालू मिलना. बालू मिलने से मिट्टी थोड़ी पोरस हो जाती है जिससे हवा घुसने में मदद मिलती है. पौधों की जड़ों तक हवा का प्रवाह रहे तो बढ़वार में मदद मिलती है. साथ ही इससे अधिक उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलती है. इसके लिए पूरे क्षेत्र का 25 प्रतिशत तक बालू मिलाते हैं. जून और जुलाई के महीनों में 4 प्रतिशत फार्मोल्डिहाइड का छिड़काव करके 400 गेज की पॉलीथीन से ढ़क देना चाहिए. छिड़काव के 4 दिनों के बाद पॉलीथीन हटा देनी चाहिए और सभी दरवाजे और वेन्टीलेशन खोल देने चाहिए. अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 10-15 कि.ग्रा. फ्यूमिगेशन करने से पहले प्रति वर्गमीटर मिला देते हैं.

टमाटर के लिए सही मिट्टी

टमाटर आमतौर पर सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है. लेकिन थोड़ी अम्लीय से लेकर दोमट मिट्टी विशेष रूप से उपयुक्त होती है. मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक होना और जल निकास की उचित व्यवस्था होना बहुत आवश्यक है.

बुवाई और बीज की मात्रा

बीज दर- एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं. संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है.

बुआई- वर्षा ऋतु के लिए जून-जुलाई और शीत मौसम के लिए जनवरी-फरवरी. फसल को पाले से मुक्त क्षेत्रों में उगाया जाना चाहिए या इसे पाले से उचित रूप से संरक्षित किया जाना चाहिए.

बीज उपचार- बुआई से पहले बीजों को थीरम/मेटालैक्सिल से उपचारित करें ताकि अंकुरण से पहले फफूंद के हमले को रोका जा सके.