इस धान में कोई बीमारी नहीं लगती, 140 दिनों में हो जाता है तैयार, पिछेती रोपाई में भी उपज मिलेगी भरपूर

इस धान में कोई बीमारी नहीं लगती, 140 दिनों में हो जाता है तैयार, पिछेती रोपाई में भी उपज मिलेगी भरपूर

चावल को भारत का मुख्‍य आहार माना जाता है. कहते हैं कि अगर किसी दिन थाली में चावल न हो तो उस दिन थाली अधूरी मानी जाती है. ऐसे में देश में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. आज हम आपको धान की एक ऐसी किस्‍म के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर तरह की बीमारी से दूर रहती है और सिर्फ 140 दिनों में ही यह तैयार हो जाती है.

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इस धान में कोई बीमारी नहीं लगती, 140 दिनों में हो जाता है तैयार, पिछेती रोपाई में भी उपज मिलेगी भरपूरआईसीएआर की तरफ से विकसित की गई धान की खास किस्‍म

चावल को भारत का मुख्‍य आहार माना जाता है. कहते हैं कि अगर किसी दिन थाली में चावल न हो तो उस दिन थाली अधूरी मानी जाती है. ऐसे में देश में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. आज हम आपको धान की एक ऐसी किस्‍म के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर तरह की बीमारी से दूर रहती है और सिर्फ 140 दिनों में ही यह तैयार हो जाती है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्‍चर रिसर्च यानी आईसीएआर की तरफ से इस किस्‍म को विकसित किया गया है. कृषि विशेषज्ञ भी इसे धान की एक बेहतर किस्‍म करार देते हैं. 

कौन सी है किस्‍म और खासियतें 

धान की जिस किस्‍म के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे CR Dhan 331 के तौर पर जाना जाता है. आईसीएआर की तरफ से इसकी जो खासियतें बताई हैं उसके मुताबिक: 

  • अगर सिंचाई में देरी हो जाए तो भी धान की यह किस्‍म बेहतर रहती है. 
  • एक हेक्‍टेयर में बोने पर इस किस्‍म की फसल करीब 52 क्विंटल तक होती है. 
  • धान की यह किस्‍म सिर्फ 140 दिनों में ही पक जाती है. 
  • साथ ही यह किस्‍म किसी भी तरह के बैक्टिरियल इनफेक्‍शन और सड़ने से भी सुरक्षित होती है. 
  • इसके अलावा इसकी पत्तियां मुड़ती नहीं हैं और न ही तने में छेद करने वाले कीड़े लगते हैं. 

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आईसीएआर के मुताबिक यह किस्‍म गुजरात और महाराष्‍ट्र में जहां पर सिंचाई की परिस्थितियां काफी सीमित हैं, वहां के लिए बेहतर रहती है. खास बात है कि कच्चे चावल के लिए 66-70 फीसदी की असाधारण हेड राइस रिकवरी (HRR)के साथ इसने सभी औद्योगिक मानकों को भी पार कर लिया है. आईसीएआर की मानें तो 70 फीसदी के उल्लेखनीय HRR के साथ CR धान 331 में छोटे-मोटे दाने होते हैं. 

9 किस्‍मों को किया गया था विकसित 

आईसीएआर से जुड़े नेशनल राइस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (एनआरआरआई) की तरफ से पिछले साल सीआर 331 समेत नौ किस्‍मों को विकसित किया गया था. इन सभी किस्‍मों को ग्यारह राज्यों को ध्‍यान में रखकर विकसित किया गया था. ये राज्‍य हैं उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु. इन राज्‍यों में जलवायु में काफी विभिन्‍नता है और ऐसे में धान की इस किस्‍मों में सूखे को सहन करने की क्षमता पर ध्यान दिया गया है. 

 

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