मई महीने की शुरुआत होते ही किसान खेतों में धान की खेती की तैयारी में जुट गए हैं. किसान अब अपने खेतों में धान का बिचड़ा यानी नर्सरी लगाने की तैयारी करने लगे हैं. लेकिन धान की खेती में कई बार किसानों को सिंचाई से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है क्योंकि धान की फसल को तैयार होने में काफी अधिक पानी की जरूरत होती है. इससे कई बार किसानों को धान की खेती करने में परेशानी और अधिक खर्च करके सिंचाई करना पड़ता है, जिससे किसानों पर धान की खेती करने में आर्थिक बोझ भी बढ़ता है.
ऐसे किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने बासमती धान की कई ऐसी किस्में तैयार की हैं, जो कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी बंपर पैदावार देती हैं. दरअसल, देश के कई राज्यों में किसान बारिश को ध्यान में रखते हुए ही धान की खेती करते हैं. लेकिन अब उन किसानों के लिए बासमती धान की ये 5 किस्में किसी वरदान से कम साबित नहीं होगी.
पूसा बासमती-1121: ये बासमती की एक खास किस्म है. इस बासमती धान की किस्म की खासियत यह है कि इसे सूखे क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. यह किस्म 140 से 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है. ये धान की अगेती किस्म है और इसका दाना लंबा और पतला होता है. वहीं, इस किस्म का स्वाद और सुगंध काफी बढ़िया होता है. धान की इस किस्म से 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
पूसा बासमती-834: बासमती धान की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. यह 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. धान की इस किस्म की पत्ती पर झुलसा रोग ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाता है. बासमती की इस किस्म को कम उपजाऊ मिट्टी या फिर कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगा कर तैयार किया जा सकता है. पूसा 834 बासमती धान किसानों को 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपज दे सकती है.
पूसा बासमती-1509: धान की पूसा बासमती 1509 किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई कम अवधि में तैयार होने वाली किस्म है. यह किस्म 120 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं, इसकी औसत करीब 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. बात करें इस किस्म की खासियत कि तो इस किस्म के दाने लंबे व पतले होते हैं. इसके अलावा इस किस्म में चार सिंचाई की पानी बचाने में सहायता मिल सकती है. इस किस्म की खेती से अन्य धान की तुलना में पानी की 33 फीसदी तक बचत होती है.
स्वर्ण शुष्क: इस किस्म के नाम से दिख रहा है कि ये धान कम पानी वाले क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली किस्म है. धान की इस किस्म में रोग और कीट ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाते, इस धान में रोगों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है. यह कम पानी में अच्छी ऊंचाई वाली किस्म है. यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में भी लगभग 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है. ये किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाता है.
स्वर्ण पूर्वी धान-1: ये बासमती की एक खास किस्म है. इस किस्म को आईसीएआर पटना द्वारा विकसित किया गया है. ये कम पानी वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है. सूखा प्रतिरोधी यह किस्म धान की अगेती बुवाई के लिए बेहद ही अच्छी है. यह 115 से 120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. कम पानी में तैयार होने वाली धान की यह किस्म 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है.
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