महाराष्ट्र के चन्द्रपुर जिले की वरोरा मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम सिर्फ 2750 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, दाम का इतना बुरा हाल तब है जब 8 मार्च को यहां सिर्फ 55 क्विंटल सोयाबीन ही बिकने के लिए आया था. यहां औसत दाम 3500 और अधिकतम दाम 3960 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि सोयाबीन का एमएसपी 4600 रुपये प्रति क्विंटल है. यानी यहां किसान एमएसपी से 1850 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम पर सोयाबीन बेचने के लिए मजबूर हैं. सोयाबीन तिलहन फसल है इसके बावजूद उसका इतना कम दाम मिल रहा है.
महाराष्ट्र सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है. यह कभी सोयाबीन के उत्पादन में नंबर वन तो कभी नंबर दो बना रहता है. इसलिए राज्य में लाखों किसान इसकी खेती पर निर्भर हैं. लेकिन लगातार एमएसपी से कम दाम मिलने की वजह से वो इस साल काफी परेशान हैं. किसानों कहना है कि पहले उन्हें प्रकृति मारती है और फिर सरकार और बाजार. इसी सोयाबीन का दाम 2021 में 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल था, जो सरकार की नीतियों की वजह से घटकर अब एमएसपी से भी कम रह गया है.
ये भी पढ़ें: Farmers Protest: दिल्ली-हरियाणा के आंदोलनकारियों को महाराष्ट्र के किसानों का समर्थन, प्याज की एमएसपी मांगी
भारत खाद्य तेलों का बहुत बड़ा आयातक है इसलिए सोयाबीन की खेती बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि सोयाबीन प्रमुख तिलहन फसल है. भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के अनुसार वर्तमान में सोयाबीन देश में कुल तिलहन फसलों का 42 प्रतिशत और कुल खाद्य तेल उत्पादन में 22 प्रतिशत का योगदान दे रहा है. सोयाबीन ऐसी फसल है जिसमें खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की चुनौती को पूरी करने की क्षमता सबसे ज्यादा है. इतनी महत्वपूर्ण फसल के बावजूद इसका कम दाम किसानों को काफी निराश कर रहा है. अगर इसी तरह से इसका कम दाम मिलता रहा तो प्याज की तरह इसकी खेती भी किसान कम कर देंगे.
ये भी पढ़ें: नासिक की किसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-किसानी से रखना चाहती हैं दूर
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today