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सूखे के चलते कई राज्यों में ग‍िरा चाय का उत्पादन, दाम स्थ‍िर रहने का अनुमान

सूखे के चलते कई राज्यों में ग‍िरा चाय का उत्पादन, दाम स्थ‍िर रहने का अनुमान

आईसीआरए के उपाध्यक्ष कौशिक दास ने कहा कि अगर मार्च के दूसरे सप्ताह तक बारिश की स्थिति में सुधार होता है तो फसल परिदृश्य में सुधार हो सकता है. उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में नीलामी केंद्रों पर चाय की कीमतें इस साल पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मामूली अधिक हैं.

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चाय उत्पादन में देखी जा रही कमी चाय उत्पादन में देखी जा रही कमी

भारतीय चाय की कीमतें असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर भारतीय क्षेत्रों में सूखे के बाद इस साल स्थिर रहने की संभावना है. वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चाय की कीमतों में बढ़त की उम्मीद लगाई जा रही है. उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, असम और उत्तरी बंगाल में पिछले साल अक्टूबर के बाद से मुश्किल से बारिश हुई है. जिस वजह से पहली फ्लश चाय के उत्पादन में कमी देखी जा सकती है.  सभी प्लकिंग जो फरवरी के मध्य में शुरू होती है और आमतौर पर अप्रैल तक चलती है.

फसल का अनुमान लगा पाना मुश्किल- सचिव इंडियन टी एसोसिएशन

सुजीत पात्रा, सचिव इंडियन टी एसोसिएशन ने अंग्रेजी अखबार बिजनेस लाइन से हुए बात-चीत के दौरान बताया कि वर्तमान में फसल की स्थिति का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन सामान्य धारणा यह है कि बारिश या नमी नहीं होने के कारण फसल कम हो सकती है. हमें अप्रैल में सटीक स्थिति का पता चल जाएगा कि फसल की स्थिति क्या है. पश्चिम बंगाल के राज्यों ने 2022 में 126,4 मिलियन किलोग्राम (mkg) के करीब उत्पादन किया. पहली फ्लश में आमतौर पर इन सम्पदाओं में सालाना उत्पादित कुल फसल का लगभग 10-12 प्रतिशत हिस्सा होता है.

अलग-अलग जगहों पर चाय की कीमत

आईसीआरए के उपाध्यक्ष कौशिक दास ने कहा कि अगर मार्च के दूसरे सप्ताह तक बारिश की स्थिति में सुधार होता है तो फसल परिदृश्य में सुधार हो सकता है. उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में नीलामी केंद्रों पर चाय की कीमतें इस साल पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मामूली अधिक हैं. उदाहरण के लिए, 18 फरवरी को समाप्त सप्ताह के लिए, कोलकाता नीलामी केंद्र में कीमत पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 153.26 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जब चाय नहीं बेची गई थी; गुवाहाटी नीलामी केंद्र में कीमत 139.48 किलोग्राम (134.08) थी. चाय बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, कोचीन नीलामी केंद्र में 150.34 किग्रा (140.42) : कुन्नूर 117.6 किग्रा (102.50) और कोयम्बटूर 127.83 किग्रा (110.92) प्रति किग्रा.

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चाय के निर्यात में लगातार देखी जा रही बढ़त

देश ने 2020 और 2022 के बीच लगातार तीन वर्षों तक सामान्य से कम उत्पादन किया, जबकि उच्च निर्यात मात्रा के कारण पाइपलाइन स्टॉक में काफी कमी भी आई है. इससे नए सीजन में चाय के थोक मूल्यों को कुछ सपोर्ट मिलने की भी संभावना है.
जनवरी-दिसंबर 2022 के दौरान उत्तर भारत से निर्यात लगभग 30 मिलियन किलोग्राम बढ़कर लगभग 143.89 मिलियन किलोग्राम हो गया, जिसका मूल्य लगभग ₹14,414 करोड़ था, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान लगभग 113.96 मिलियन किलोग्राम का मूल्य लगभग ₹3,473 करोड़ था.

उद्योग के सूत्रों ने कहा कि आर्थिक मंदी के कारण श्रीलंका का उत्पादन गिरने की संभावना है और भारतीय चाय बाजारों को पूरा करने में सक्षम होगी जिन्हें पहले श्रीलंका द्वारा परोसा जाता था. इससे विदेशी बाजारों में भारतीय चाय की मजबूत मांग बढ़ेगी, जिससे कीमतें स्थिर रहेंगी. भारत ने जनवरी-दिसंबर 2022 के दौरान 226.98 रेंट mkg का निर्यात किया, जो पिछले साल इसी अवधि में 196.54 mkg से अधिक था. जिसे रूसी फेडेरा, CIS और UAE के बाजारों से आने वाले उच्च मांग डेमो द्वारा समर्थित किया गया था.